साहिबा के लिए गूगल बाबा, ज्ञान का भंडार हैं जहां वो सुबह से लेकर शाम तक लगातार घूमती रहती है और मानसिक स्वास्थ्य से लेकर तरह-तरह की जानकारियों का हल ढूंढती रहती है. ज़ूम कॉल पर 18 साल की साहिबा खुद के बारे में और खुद का ध्यान रखने के बारे में इतनी बड़ी-बड़ी बातें करती है कि सभी उत्सुकता से उसकी बातों में डूबते रहते हैं. साहिबा की बातों में एक सवाल था जो लुके-छिपे ढंग से दिखाई दे रहा था – मैं कब बड़ी हुई?
‘मेरा चश्मा मेरे रूल्स’ तीन एपिसोड की एक पॉडकास्ट शृंखला है. इसे हमने ‘पार्टनर्स फॉर लॉ इन डेवलपमेंट (PLD) के साथ मिलकर तैयार किया है. पीएलडी की मदद से हमारी मुलाकात बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से 18 से 20 साल की 4 लड़कियों से हुई. अलग-अलग सामाजिक और पारिवारिक परिवेश से आने वाली ये लड़कियां एक साझा मंच पर किशोरावस्था के अपने अनुभवों को साझा कर रही हैं जो कभी-कभार ही हमारी पॉलिसी का हिस्सा बनते हैं. हर सोमवार सुनिए एक नया एपिसोड.
नोट : मुस्कान, शौम्या, साहिबा और शुभांगणी पीएलडी के नेशनल कोलिशन एडवोकेटिंग फॉर एडोलसेंट कंसर्नस द्वारा मई 2022 में आयोजित एक निबंध प्रतियोगिता ‘मेरे सपने’ की प्रतिभागी हैं. इस निबंध प्रतियोगिता का मकसद था कि 15 से 25 साल तक की लड़कियां परिवार, समुदाय, राज्य या ऐसी किसी आधिकारिक संस्था जिसके बारे में उन्हें विश्वास है कि जिनकी मदद से उनके सपने पूरे हो सकते हैं, उन्हें चिट्ठी लिखें. प्रतियोगिता में चयनित 40 निबंध एक शानदार चित्रात्मक 3डी डाइजेस्ट, ‘सपने: लड़कियों की ज़ुबानी’ का हिस्सा बने जिसका लोकार्पण पीएलडी द्वारा 20 दिसंबर 2022 को किया गया. ऑनलाइन आप इसे यहां पढ़ सकते हैं. हार्डकॉपी मंगवाने के लिए [email protected] ईमेल पर संपर्क करें.
सहयोगी संस्थाएं: पार्टनर्स फॉर लॉ इन डेवलपमेंट (PLD) और द थर्ड आई (TTE)
लेखन, संपादन: माधुरी आडवाणी
आवाजें: मुस्कान, साहिबा, शौम्या और शुभांगणी
चित्रांकन – अनुप्रिया
आवरण चित्र संपादन – सादिया सईद
इस प्रोजेक्ट से लिए प्राप्त सहयोग राशि यूएनएफपीए (UNFPA India) द्वारा दी गई है. अधिक जानकारी के लिए https://pldindia.org/ और https://pldindia.org/advocating-for-adolescent-concerns/ पर संपर्क करें.