मेरा चश्मा, मेरे रूल्स | ट्रेलर

तुम्हारी चाहतें क्या हैं? तुम क्या चाहती हो?

आखिरी बार कब हमने किसी युवा से उनकी चाहतों के बारे में पूछा था? हम कैसे उनकी ज़िंदगी उनके नज़रिए से देख सकते हैं?

आपकी ही तरह, हमें भी ये नहीं पता था. तो हमने उनसे ऑनलाइन मुलाकात की, ताकि उन्हें सुन सकें उनके तड़कते, भड़कते, तिकोने आकार के, सितारों वाले, दिल के आकार के चश्मों के साथ. जब हमने इस सवाल के साथ मुस्कान, शौम्या, साहिबा और शुभांगनी के साथ ज़ूम कॉल शुरू की तभी हम समझ गए थे कि अब हम इनके साथ चाहतों और विचारों की महीन गलियों में प्रवेश कर रहे हैं.

‘मेरा चश्मा मेरे रूल्स’ तीन एपिसोड की एक पॉडकास्ट शृंखला है. इसे द थर्ड आई ने ‘पार्टनर फॉर लॉ इन डेवलपमेंट (पीएलडी) के साथ मिलकर तैयार किया है. पीएलडी की मदद से हमारी मुलाकात बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश राज्यों से 18 से 20 साल की 4 लड़कियों से हुई. अलग-अलग सामाजिक और पारिवारिक परिवेश से आने वाली ये लड़कियां एक साझा मंच पर किशोरावस्था के अपने अनुभवों को साझा कर रही हैं जो कभी-कभार ही हमारी पॉलिसी का हिस्सा बनते हैं.

इस बातचीत को हमने पहचान और पहुंच के सवाल या मौकों की उपलब्धता के आधार पर खोलने की कोशिश की मगर जल्दी ही ये आत्मीयता और एक दूसरे के प्रति गहरे जुड़ाव को महसूस करती भावनाओं की छोटी-छोटी नदियों में तैरने लगी. बातचीत में शामिल लड़कियों ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े संघर्षों, माता-पिता के रिश्तों में दिखाई देने वाली दरारों और सदियों से चली आ रही असमानताओं पर खुलकर बात की. अभी हमारी बातचीत को कुछ ही मिनट हुए थे कि बिहार के समस्तीपुर की रहने वाली मुस्कान हमें अपनी कम्युनिटी लाइब्रेरी घुमाने लगी, वहीं क्षमता शेल्टर होम, ठाणे से जुड़ी शौम्या के साथ पीछे से उसके दोस्त भी उसके साथ हंस रहे थे. एक तरफ नोएडा से साहिबा ने मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में बिताए अपने समय के दौरान लिखी अपनी चिट्ठियों और कविताओं को पढ़कर सुनाया तो दूसरी तरफ पढ़ाई के सिलसिले में केकड़ी राजस्थान में अपनी बहन के साथ रह रही शुभांगनी ने हमें अपना कमरा अच्छी तरह दिखाया.

ये सारी कहानियां नई जानकारियों और विविधताओं से भरी हुई हैं. तो क्या आप तैयार हैं उनके साथ कहानियों की इस नई दुनिया में घूमने के लिए? एक शर्त है इन कहानियों के भीतर जाने के लिए आपको भी इनके जैसा चश्मा ही पहनना पड़ेगा. सुनिए, हर सोमवार एक नई कहानी.

ध्यान दें: मुस्कान, शौम्या, साहिबा और शुभांगणी पीएलडी के नेशनल कोलिशन एडवोकेटिंग फॉर एडोलसेंट कंसर्न्स (एनसीएएसी) द्वारा मई 2022 में आयोजित एक निबंध प्रतियोगिता ‘मेरे सपने’ की प्रतिभागी हैं. इस निबंध प्रतियोगिता का मकसद यह था कि 15 से 25 साल तक की लड़कियां परिवार, समुदाय, राज्य या ऐसे किसी आधिकारिक संस्थान को चिट्ठी लिखें जिसके बारे में उन्हें विश्वास है कि उसकी मदद से उनके सपने पूरे हो सकते हैं.

प्रतियोगिता में चयनित 40 निबंध एक शानदार चित्रात्मक डाइजेस्ट – 3D सपने: लड़कियों की ज़ुबानी का हिस्सा बने जिसका लोकार्पण पीएलडी द्वारा दिसंबर 2022 में किया गया. ऑनलाइन आप इसे यहां पढ़ सकते हैं. हार्डकॉपी में डाइजेस्ट मंगवाने के लिए [email protected] पर लिखें. इस निबंध प्रतियोगिता ने हमें किशोरावस्था के अनुभवों को गहराई से सोचने और इसपर बात करने के लिए प्रेरित किया. यह पॉडकास्ट एनसीएएसी की तरफ से एक ऐसा मंच तैयार करने की कोशिश भी है जो विविधता और भिन्नता से भरपूर युवा अधिकारों को एक साथ, एक जगह लाता है.

सहयोग – पार्टनर्स फॉर लॉ एंड डेवलपमेंट (पीएलडी) और द थर्ड आई
लेखन, संपादन और रूपरेखा – माधुरी आडवाणी
आवाज़ – मुस्कान, साहिबा, शौम्या और शुभांगणी
समन्वयन – कनिका और माधुरी
चित्रांकन – अनुप्रिया
कवर इमेज संपादन – सादिया सईद

इस प्रोजेक्ट की ग्रांट UNFPA के समर्थन से है. अधिक जानकारी के लिए https://pldindia.org/ और https://pldindia.org/advocating-for-adolescent-concerns/ पर जाएं.

माधुरी को कहानियां सुनाने में मज़ा आता है और वे अपने इस हुनर का इस्तेमाल महिलाओं के विभिन्न समुदायों और पीढ़ियों के बीच संवाद स्थापित करने के माध्यम के रूप में करती हैं. जब वे रिकार्डिंग या साक्षात्कार नहीं कर रही होतीं तब माधुरी को यू ट्यूब चैनल पर अपने कहानियों का अड्डा पर समाज में चल रही बगावत की घटनाओं को ढूंढते और उनका दस्तावेज़ीकरण करते पाया जा सकता है. समाज शास्त्र की छात्रा होने के नाते, वे हमेशा अपने चारों ओर गढ़े गए सामाजिक ढांचों को आलोचनात्मक नज़र से तब तक परखती रहती हैं, जब तक कॉफ़ी पर चर्चा के लिए कोई नहीं टकरा जाता. माधुरी द थर्ड आई में पॉडकास्ट प्रोड्यूसर हैं.

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