कोविड

शिक्षा पर बनी ये 12 फ़िल्में ज़रूर देखें

पिछले कुछ महीनों से हमने शिक्षा विशेषांक में शिक्षा से जुड़ी कई तरह की बातें, विचार, जानकारियां, किस्से-कहानियां आपसे साझा की हैं. विशेषांक के इस अंतिम पढ़ाव में हम बात कर रहे हैं उन फ़िल्मों के बारे में जो शिक्षा से जुड़े कई तरह के पेंच खोलने का काम करती हैं. ये फिल्में अपने समय का दस्तावेज़ हैं और उन मुखर सवालों को पूछने का काम कर रही हैं जिन्हें या तो हम समझ नहीं पाते या जानते हुए भी अनजान बने रहते हैं.

गुमसुम सी छत

मोहल्ले के तमाम घरों को जोड़ती छतें खुली और विशाल दिखाई देती हैं. ठीक उसके उलट हमारा अन्तर्मन कई तरह की घेरों में बंधा होता है. इसी बीच ज़िंदगियां चलती-बदलती रहती हैं. अंकुर संस्था से जुड़ी रौशनी की इस बयानी में छत किसी अंदर-बाहर की अदला-बदली को चरितार्थ करती हुई दिखाई देती है. कोविड का समय एवं मानसिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर लोगों पर पड़े उसके प्रभावों को रौशनी बहुत ही सीधे शब्दों में सामने रख देती हैं.

कोरोनाकाल में जो सरकार नहीं कर पाई, वो इन ग्रामीणों ने कर दिखाया.

पर्यावरण और विकास के वैकल्पिक मॉडलों के दस्तावेज़ीकरण पर दशकों से काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता आशीष कोठारी द्वारा, उन समुदायों की जानकारी जिन्होंने महामारी से अपने को सुरक्षित रखा. आशीष कोठारी को हम एक पर्यावरणविद के रूप में जानते हैं. लेकिन एक पंक्ति के परिचय में उनके काम के विस्तार को नहीं समेटा जा सकता.

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