गुरलीन ग्रेवाल के लेख

गुरलीन एक फ़िल्म निर्माता और संपादक हैं. वे हमारे आसपास रोज़मर्रा की कहानियों और संरचनाओं में रुचि रखती हैं. गुरलीन ने डिज़ाइन में स्नातक की डिग्री और श्री अरबिंदो सेंटर फॉर आर्ट्स एंड कम्युनिकेशन से क्रिएटिव डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म निर्माण में पीजी डिप्लोमा की डिग्री हासिल की है. डिप्लोमा के दौरान उन्होंने अपनी पहली फ़िल्म समवेयर नियर एंड फार (कहीं दूर और पास) बनाई, जिसने इंटरनेशनल डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म फेस्टिवल ऑफ़ इंडिया (आईएफएफके), केरल में सर्वश्रेष्ठ शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री का पुरस्कार जीता. वीडियो एडिटर और मेंटर के बतौर वे, द थर्ड आई की द लर्निंग लैब से भी जुड़ी हैं. उन्होंने जाति पर आधारित हमारी फिल्म ‘हमारे बीच में‘ (इन बिटवीन अस) का सह-संपादन किया है, जो द लर्निंग लैब की शैक्षणिक प्रक्रियाओं के बीच से तैयार हुई है. इसके अलावा वे केसवर्कर्स द्वारा तैयार की गई ‘हिंसा की शब्दावली‘ से जुड़े वीडियो इंटरव्यू और फिल्म ‘क्या है ये समझौता’ की वीडियो प्रोडक्शन टीम का हिस्सा रही हैं. वे संपादकीय प्रक्रियाओं में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

आप सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में हैं

नारीवादी और सामाजिक न्याय समर्थकों ने ‘निगरानी’ को जेल के संदर्भ में ही नहीं बल्कि हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में उसकी उपस्थिति और इन दोनों जगहों के बीच की कड़ियों को भी खोलने का काम किया है. क्या हमारी ज़िंदगियां भी ‘कार्सरैलिटी या कैद’ के सिद्धांतों से संचालित होती है? क्या बंदिश, निगरानी, और दंड इसका प्रतिनिधित्व करते हैं? सार्वजनिक स्थानों में होने वाली हिंसा हमारे जीवन में ‘कैद’ के तर्क को मज़बूत करने में किस तरह की भूमिका निभाती है?

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