- शहरों, महानगरों में रहते हुए जब हम काम या पढ़ने-लिखने की जगहों, दोस्तों की महफिलों में ये कहते हैं कि, ‘यहां जाति कहां हैं? हम तो किसी तरह का भेद-भाव नहीं करते.’ उस वक्त हम यह भूल जाते हैं कि यहां तक पहुंचने में कौन-कौन मेरे साथ चल रहा था?[...]
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आवाज़ की दुनिया जहां कहानियों, विमर्शों, रेडियो निबंध के ज़रिए जेंडर और पितृसत्ता के इर्द-गिर्द ज़मीनी स्तर से लेकर पॉलिसी बदलाव से जुड़ी बातें जन्म लेती हैं.