- शहरों, महानगरों में रहते हुए जब हम काम या पढ़ने-लिखने की जगहों, दोस्तों की महफिलों में ये कहते हैं कि, ‘यहां जाति कहां हैं? हम तो किसी तरह का भेद-भाव नहीं करते.’ उस वक्त हम यह भूल जाते हैं कि यहां तक पहुंचने में कौन-कौन मेरे साथ चल रहा था? उनमें किस-किस जाति के लोग[...]
