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अंक 006: मज़ा और खतरा
अंक 006
मज़ा और खतरा
अवचेतन: यौनिकता को देखने का एक नज़रिया
June 2025
इस संस्करण के ज़रिए हम मानवीय अनुभवों को समझने और देखने का प्रयास कर रहे हैं – खासकर हमारी इच्छाएं, यौनिकता, सेक्स, शरीर, उम्र, हिंसा, भूख और प्यास जो आपस में एक-दूसरे से टकराते हैं – इन्हें हम अवचेतन की नज़र से देखने की कोशिश करेंगे.
संपादकीय पढ़ें
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क्या बगावत का मज़ा तभी है, जब कोई नियम तोड़ने के लिए हो?
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अवचेतन और यौनिकता शृंखला, भाग 1 – कमी
जया शर्मा
मेरे लिए दिलो-दिमाग या अवचेतन (गाफिल), ये उन सारी हकीकतों का एक दायरा है, जिसे सीधे-सीधे न महसूस किया जा...
सीखना सिखाना
June 11, 2025
सर जो तेरा चकराए…यौनिकता और अवचेतन शृंखला – परिचय
जया शर्मा
हमारी ज़िंदगी में मज़ा और खतरा एक तरह से गड्ड-मड्ड है. ये हमारे भीतर भी है और आसपास भी. लज़ीज...
अंक 006 के और पोस्ट देखें
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