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एकल इन द सिटी

महानगरों या बड़े शहरों से दूर किसी सुदूर इलाके में एकल महिला होने के क्या अर्थ हैं? शहरों की रुमानियत से दूर ऐसी जगहों पर एक महिला के अकेले रहने के अनुभव कैसे होते हैं? कोई एकल क्यों होता है? कौन से शब्द हैं जो इसे परिभाषित करते हैं? क्या यह संपूर्ण जीवन है या जीवन का एक हिस्सा? छोटे शहरों या गांवों में अकेले रहने वाली महिलाओं का जीवन कैसा होता है? घर और प्यार के इर्द-गिर्द वे अपना संसार कैसे रचती हैं, इन पहेलीनुमा सवालों को सुलझाने के लिए कई गांवों और शहरों की यात्राएं कर, हम एकल महिलाओं की कहानियां आपके लिए लेकर आए हैं.

एपिसोड 4
अपने ही रंग में नहाउं मैं तो अपने ही संग मैं गाउं. एक सवाल, वे महिलाएं जिन्होंने अपनी मर्जी से अपने पति को छोड़ दिया है, उनके लिए हिन्दी, अंग्रेजी या किसी भी भाषा में कौन सा शब्द है? अगर, आपको नहीं पता तो हम बताते हैं -एमएनटी (MNT)—मी नवराएला टाकले —यानि, मैंने पति को छोड़ा!
एपिसोड 3
एकल इन द सिटी के इस तीसरे एपिसोड में मिलिए अनु से जो छत पर बने अपने कमरे से हमारा परिचय करवाती हैं. आज से करीब 76 साल पहले वर्जिनिया वुल्फ ने अपने लेख ‘अ रूम ऑफ़ वन्स ओन’ में लिखा था कि रचनात्मक रचने के लिए लड़कियों और महिलाओं के पास अपना एक कमरा होना चाहिए. किसे पता था कि अजमेर जिले के केकड़ी गांव में 31 साल की अनु उस ‘अपना एक कमरा’ को इतने सम्मान के साथ चरितार्थ कर रही होगी.    
एपिसोड 2
एकल इन द सिटी के दूसरे एपिसोड में माधुरी की मुलाक़ात उत्तर-प्रदेश में रहने वाली दो एकल महिलाओं से होती है. 27 वर्षीय सीमा, बांदा की रहने वाली हैं. वे पेशे से पत्रकार हैं और एक हिंदी डिजिटल न्यूज़ चैनल - भारत 1 न्यूज़ - के साथ काम करती हैं, वहीं 28 साल की शब्बो, बुंदेलखंड स्थित महिला अधिकार समूह 'वनांगना' की कार्यकर्ता हैं.
एपिसोड 1
महानगरों या बड़े शहरों से दूर किसी सुदूर इलाके में एकल महिला होने के क्या अर्थ हैं? शहरों की रुमानियत से दूर ऐसी जगहों पर एक महिला के अकेले रहने के अनुभव कैसे होते हैं? कोई एकल क्यों होता है? कौन से शब्द हैं जो इसे परिभाषित करते हैं? क्या यह संपूर्ण जीवन है या जीवन का एक हिस्सा?  
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