वे संस्था के काम के बारे में लोगों को बताने एवं उन्हें संस्था से जोड़ने का काम करती हैं. दिन में कुछ घंटे वे एक सैनिटरी पैड बनाने वाली फैक्ट्री में भी काम करती हैं. इस एपिसोड में शब्बो और सीमा, दोनों ही खुलकर अपनी बातें साझा कर रही हैं. वे बताती हैं कि कैसे उन्हें शहर के भीतर एकल परिवार मिला.
बुंदेलखंड में जन्म लेने से लेकर वहां की गलियों में बड़े होने, पारिवारिक हिंसा की क्रूरता को झेलने से लेकर तलाक़ से गुज़रने के बाद एक समुदाय में आपसी बहनापे को पाना, यह एपिसोड उन घटनाओं का दस्तावेज़ है जो महिला हिंसा से जुड़ती हैं. ये कहानियां हमें बताती हैं कि महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा के तार इतिहास की गलियों से होते हुए किस नए रुप में सामने आते हैं. अक्सर, इसकी पड़ताल से निकलने वाले जवाब हम महिलाओं को भी चौंका जाते हैं. आइए मिलकर सुनते हैं सीमा और शब्बो की कहानी.