अंक 003: शहर

शहर अकेला है, लाख हैं गलियां

फिल्मी शहर – सिनेमा में समलैंगिकता

इस मास्टरक्लास के दो भागों में – सिनेमा में समलैंगिकता – विषय पर बातचीत करते हुए फिल्म निर्देशक अविजित मुकुल किशोर ने सिनेमा की भाषा, सही एवं सम्मानजनक शब्दावलियों का अभाव, LGBTQI+ से जुड़े लोगों के संघर्ष एवं अपमान से पहचान की उनकी यात्रा को फिल्मी पर्दे पर उनकी प्रस्तुति के क्रम में देखने की कोशिश की है.

फिल्मी शहर एपिसोड 3: सिनेमा में समलैंगिकता

इस मास्टरक्लास के दो भागों में – सिनेमा में समलैंगिकता – विषय पर बातचीत करते हुए फिल्म निर्देशक अविजित मुकुल किशोर ने सिनेमा की भाषा, सही एवं सम्मानजनक शब्दावलियों का अभाव, LGBTQI+ से जुड़े लोगों के संघर्ष एवं अपमान से पहचान की उनकी यात्रा को फिल्मी पर्दे पर उनकी प्रस्तुति के क्रम में देखने की कोशिश की है.

तुम किसकी हो बिन्नी?

बोलती कहानियां Ep 4: तुम किसकी हो बिन्नी?

बोलती कहानियां के इस नए एपिसोड में स्वाती कश्यप से सुनिए मैत्रयी पुष्पा की कहानी ‘तुम किसकी हो बिन्नी’ का भावात्मक रूपांतरण. दो लड़कियों के पैदा होने के बाद जब बिन्नी की मां तीसरी बार गर्भवती हुईं तो सबको पक्का यकीन था कि इस बार लड़का ही होगा, मगर हो गई बिन्नी! उसके बाद क्या हुआ सुनें इस कहानी में.

शहर और सिनेमा

शहर के बनने और लगातार बढ़ने के परिदृश्यों और कारकों को डॉक्यूमेंट्री फिल्मों ने समय-समय पर अपने कैमरे में कैद करने की कोशिश की है. इस विषय से जुड़ी फिल्मों को किसी एक लिस्ट में समेट पाना बहुत ही मुश्किल काम है. इस सूची के ज़रिए हमारा मकसद सिनेमा और शहर पर एक सार्थक बातचीत की शुरुआत करना है.

क्या वाकई भारत गांवों में बसता है?

द थर्ड आई के शहर संस्करण में गौतम भान के साथ हमने सरकारी नीतियों के बरअक्स वास्तविकता के बीच शहरों के बनने की प्रक्रिया, शहरी गरीबों की पहचान के सवाल, शहरी अध्ययन एवं कोविड महामारी की सीखें और भारत में शहरी अध्ययन शिक्षा के स्वरूप पर विस्तार से बातचीत की है.

“अनौपचारिक क्षेत्र में यौनकर्म करने वाली महिलाओं के अनुभव गिग इकॉनमी वर्कर्स की तरह हैं”

मंजिमा भट्टाचार्य एक नारीवादी शोधकर्त्ता, लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. ऑनलाइन डेटिंग एप्प ‘टिंडर’ जैसे अन्य एप्स के आगमन से कुछ ही पहले, डिजिटल आत्मीयता और निजी रिश्तों (इंटिमेसी) को इंटरनेट कैसे बदल रहा था. इनकी किताब इसपर एक दिलचस्प अंतर्दृष्टि प्रदान करती है.

“मेरी किताब इंटरनेट का टिंडर से पहले का इतिहास है”

अपनी 2021 में प्रकाशित पुस्तक, ‘इंटिमेट सिटी’ में भट्टाचार्य ने वैश्वीकरण और तकनीक ने कैसे यौन वाणिज्य (सेक्सुअल कॉमर्स) को बदला है, इसकी तहकीकात की है. ऑनलाइन डेटिंग एप्प ‘टिंडर’ जैसे अन्य एप्स के आगमन से कुछ ही पहले, डिजिटल आत्मीयता और निजी रिश्तों (इंटिमेसी) को इंटरनेट कैसे बदल रहा था.

सेक्स [वर्क] एंड द सिटी

कोलकाता, एक ऐसा शहर जिसके आधुनिक स्वरूप में उसका इतिहास गहरे समाहित है. कोलकाता शहर के आकार को बनाने में उसके स्थान, उसके बंदरगाहों के माध्यम से लड़े गए युद्धों, सीमाओं के पार से आने वाले प्रवासियों और निश्चित रूप से, ब्रिटिश उपनिवेशवाद एवं लगातार बदलती उनकी नैतिकता और उसके प्रभाव की अहम भूमिका है.

अकेले और चलना चाहिए

एकल इन द सिटी Ep 3: अकेले और चलना चाहिए

एकल इन द सिटी के इस तीसरे एपिसोड में मिलिए अनु से जो छत पर बने अपने कमरे से हमारा परिचय करवाती हैं. आज से करीब 76 साल पहले वर्जिनिया वुल्फ ने अपने लेख ‘अ रूम ऑफ़ वन्स ओन’ में लिखा था कि रचनात्मक रचने के लिए लड़कियों और महिलाओं के पास अपना एक कमरा होना चाहिए. किसे पता था कि अजमेर जिले के केकड़ी गांव में 31 साल की अनु उस ‘अपना एक कमरा’ को इतने सम्मान के साथ चरितार्थ कर रही होगी.    

वापसी

साल 2020 में कोविड के दौरान देशभर में लगे लॉकडाउन की वजह से ज्योति अपने गांव सवाऊ मूलराज वापस लौटती हैं. उन्होंने गांव में रहते हुए वहां के परिदृश्य, लोगों औऱ घटनाओं को अपने कैमरे में कैद करना शुरू किया.

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