केसवर्कर्स से एक मुलाकात एपिसोड 05 – राजकुमारी प्रजापति

“चाहे हम कितना भी पढ़-लिख जाएं, कितनी भी जानकारी हासिल कर लें, हर आदमी के अंदर यही सोच होती है कि ये तो औरत है, ये क्या कर सकती है.”

“पुलिस प्रशासन हो या वकील सभी के साथ काम करना इतना आसान नहीं होता. एक केसवर्कर के काम के दौरान कभी-कभी इन लोगों के सामने बेचारी बनने का नाटक भी करना पड़ता है क्योंकि गुस्से में बात करने पर तो ये हमारा काम नहीं करेंगे, तो इनकी हां में हां मिलाकर हम अपना काम करवाते है.”

वे कौन लोग हैं जो जेंडर आधारित हिंसा पर काम करते हैं? उनका खुद का अतीत क्या है? वह क्या है जो उन्हें इस मुद्दे से जोड़े रखता है? केसवर्कर्स के साथ मुलाकात के इस एपिसोड में मिलिए राजकुमारी प्रजापति से जो उत्तर-प्रदेश के ललितपुर की रहने वाली हैं. 2008 में जब राजकुमारी सहजनी शिक्षा केंद्र से जुड़ीं तो उस वक्त उनकी उम्र 19 साल थी. वे आवासीय शिक्षण केंद्र में बतौर एक शिक्षिका महिलाओं और किशोरियों को पढ़ाने का काम करती थीं. आगे वे सहजनी के साथ ही महिला हिंसा के मुद्दों पर काम करने लगीं और तब से आजतक एक केसवर्कर की भूमिका में निरंतर सक्रिय हैं.

राजकुमारी एक फ़िल्ममेकर भी हैं. द थर्ड आई के साथ बतौर डिजिटल एजुकेटर जुड़कर उन्होंने पुरस्कार प्राप्त फ़िल्मों के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है. वे कहती हैं, “15-16 साल से हिंसा के मुद्दे पर काम करते हुए ऐसा नहीं है कि मेरे जीवन में हिंसा बिलकुल खत्म हो गई है. आज भी मैं इससे जूझती हूं, लेकिन फ़र्क इतना है कि आज मैं सवाल उठा पाती हूं. दूसरों के लिए खड़ी हो पा रही हूं. इसका मुझे गर्व है.”

साल 2022 में हमने उत्तर-प्रदेश के ललितपुर, बांदा और लखनऊ ज़िले में काम करने वाली 12 केसवर्करों के साथ काम किया, एक-दूसरे को सुना और समझा भी. हमारी इसी गहन प्रक्रिया से कुछ शब्द निकले और उनपर चर्चा करते-करते ‘हिंसा की शब्दावली’ ने जन्म लिया. यह शब्दावली केसवर्करों के काम, अनुभव और ज़िंदगी के प्रति उनकी समझ को समेटे हुए है. इसमें जेंडर आधारित हिंसा से जुड़े उन महत्त्वपूर्ण शब्दों को शामिल किया गया है, जिनकी मदद से ज्ञान और समझ का निर्माण होता है. शब्दावली पर काम करने वाली सभी केसवर्कर हत्या, बलात्कार, अपहरण, बच्चों के यौन शोषण, दहेज हत्या और घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर काम करती हैं. ये सभी अपने समुदायों के बीच से ही निकलकर आई हैं. इनमें से कुछ तो खुद भी हिंसा का शिकार रही हैं.

इस प्रोजेक्ट का एक मकसद केसवर्करों के काम को नए नज़रिए से देखना भी है. अबतक हम उन्हें संकट के समय मदद के लिए सबसे पहले खड़ी होने वाली मददगार के रूप में देखते आए हैं. यह शब्दावली उनके व्यक्तित्व के उन पक्षों को सामने लागने का काम करती है जो सक्रिय रूप से न्याय की खोज में जुटी हैं और जिन्हें इस बात का ज्ञान है कि ज़मीनी स्तर पर ‘न्याय’ की क्या स्थिति है और इसे पाने के लिए किस तरह की भुलभुलैया से गुज़रना होता है.

‘केसवर्कर्स से एक मुलाकात’ सीरीज़ के ज़रिए मिलिए उन 12 केसवर्करों से जिन्होंने हिंसा की शब्दावली को तैयार करने का काम किया है. और जानिए कि एक महिला को हिंसा से बचाने या उसे न्याय दिलवाने के लिए एक केसवर्कर को परिवार, समुदाय और प्रशासनिक ढांचे के त्रिकोणीय समीकरण से कैसे जूझना पड़ता है?

द थर्ड आई की पाठ्य सामग्री तैयार करने वाले लोगों के समूह में शिक्षाविद, डॉक्यूमेंटरी फ़िल्मकार, कहानीकार जैसे पेशेवर लोग हैं. इन्हें कहानियां लिखने, मौखिक इतिहास जमा करने और ग्रामीण तथा कमज़ोर तबक़ों के लिए संदर्भगत सीखने−सिखाने के तरीकों को विकसित करने का व्यापक अनुभव है.

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