शालोम गौरी और कुशल चौधरी के लेख

शालोम गौरी, एक लेखक और शोधकर्ता हैं, जिनकी रुचि राजनीतिक अर्थव्यवस्था और न्याय के प्रश्नों में है. वे वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई कर रही हैं.

कुशल चौधरी एक स्वतंत्र पत्रकार और शोधकर्ता हैं. उन्होंने बहुत सारे विषयों पर काम किया है जिसमें विशेषकर भारत में जाति, धर्म, कृषि और आदिवासी समुदायों से जुड़े विषय शामिल हैं.

कहते हैं कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं, पर क्या होगा जब कानून का दिल भी बहुत बड़ा हो?

पुनर्स्थापनात्मक न्याय/ रिस्टोरेटिव जस्टिस के दूसरे हिस्से में पढ़िए ज़मीनी स्तर पर यह कैसे काम करता है और जेल में बंद महिला कैदियों के जीवन में इसकी क्या भूमिका है.

क्या किसी अपराधी द्वारा माफी मांग लेना, उसे जेल भेजकर सज़ा दिलाने से ज़्यादा न्यायपूर्ण है?

दो भागों में प्रकाशित यह लेख पुनर्स्थापनात्मक न्याय / रिस्टोरेटिव जस्टिस से हम क्या समझते हैं, इसकी संभावनाओं और प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से बात करता है, खासकर भारत के संदर्भ में. लेख का पहला भाग पुनर्स्थापनात्मक न्याय के दुनिया में उभार पाने, भारत में किशोर न्याय कानून के साथ समानता, यौन अपराधों में भूमिका एवं मध्यस्तता से बिलकुल अलग होने के बारे में है.

Skip to content