हमीदा सैयद के लेख

स्वतंत्र पत्रकार एवं प्रोग्राम एसोसिएट हमीदा सैयद, धर्म, पहचान एवं संघर्ष के मुद्दे पर लेखन कार्य करती हैं. वे एक कवि हैं. वर्तमान में ऑनलाइन भेदभाव एवं यौनिकता और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार (SRHR) की विभिन्न युवा-नेतृत्व वाली पहलों से जुड़ी हुई हैं. हमीदा ने मनोविज्ञान, संघर्ष विश्लेषण और सामाजिक विज्ञान अनुसंधान विषयों की पढ़ाई की है.

“अगर धरती पर कहीं चरस है, तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है”

अगस्त 18, 2023 के इंडियन एक्सप्रेस अखबार के फ्रंट पेज पर प्रकाशित खबर के अनुसार कश्मीर में हर 12 मिनट पर नशे की लत की वजह से एक युवा ओपीडी में पहुंचता है. ये बात इतनी सामान्य हो गई है कि आमतौर पर ‘युवा’ और ‘लत’ शब्द एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं. युवाओं के झुंड अगर झील के किनारे घूम रहे हों तो उन्हें पुरानी यादों में लौटते या तफरी करते हुए नहीं देखा जाता, बल्कि लोगों की निगाहें उन्हें गहन संदेह और चिंता के साथ देखती हैं.

चाह और फ़र्ज़ के बीच फैला नूर

वह 2006 का एक यादगार दिन था. रियाध में मेरे अब्बा के चचेरे भाई जुमे की नमाज़ के बाद घर आए हुए थे. अम्मी  ने उस दिन कोरमा बनाया था. दस्तरख्वान पर बैठकर हम सब ने कोरमा खाने के बाद कहवा पिया.

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