निरंतर रेडियो

पॉडकास्ट

यहां हम आवाज़ का सहारा लेते हुए पॉडकास्ट, कहानियां, किस्से और बातें रेडियो पर लाते हैं. ये रोज़मर्रा के अनुभव हमारे आस पास से लेकर सामाजिक नीतियों तक को समझने में मदद करते हैं. ये संवाद जेंडर और पितृसत्ता पर ठोस समझ बनाने का प्रयास हैं.

एपिसोड 04
सरिता और मैडम के इस चौथे और आखिरी एपिसोड में क्रुपा उस याद को साझा कर रही है जब सरिता एक बार फिर प्रयास के पास आती है लेकिन इस बार वो कुछ और ही चाहती है - इस बार वो सीखना चाहती है.
एपिसोड 03
सरिता जब भी प्रयास के दरवाज़े खट-खटाती है तो इसका मतलब परेशानी ही नहीं होता, जो वो अपने साथ लाती है. कभी वो कुछ मसलों के ऐसे अनोखे हल भी ढूंढ लाती है जो हमें परेशानी को अलग नज़रिए से देखने पर मजबूर कर देते हैं. इस तीसरे एपिसोड में क्रुपा हमें सरिता के उस एक खास दिन के बारे में बता रही हैं जब उसने मोल-भाव करने से साफ इंकार कर दिया.
एपिसोड 02
लॉकडाउन तो आपको याद है न? ऐसा नहीं लगता कभी कि ये बरसों पहले की बात हो? और कभी लगता है कि ये कल की ही बात है! जो भी है ये सभी के लिए भयानक ही था. ऐसे समय में जब हर कोई परेशान था तो सेक्स वर्कर्स कैसे अपना जीवन गुज़ार पा रही थीं? और एक सामाजिक कार्यकर्ता किस तरह की चुनौतियों का सामना कर रही थी? सरिता और मैडम के इस दूसरे एपिसोड में क्रुपा हमें यही बताने वाली हैं कि लॉकडाउन के दौरान सरिता ने क्या किया.
एपिसोड 01
‘फ से फ़ील्ड ज से जेल’ पॉडकास्ट सीरीज़ के इस नए सीज़न में हम लाएं हैं जेल के भीतर से कहानियां. द थर्ड आई में हमारा काम फ़ील्ड की समझ को विस्तार देना भी है. हम फ़ील्ड पर काम करने वाले लोगों की कहानियों को सामने लाने का प्रयास करते हैं जो अपने अनोखे अंदाज़ के साथ इसे जीवंत बनाते हैं.
एपिसोड 8
शादी के एक साल के भीतर ही फुलेसरा के पति की मृत्यु हो जाती है. पति के जाने के बाद जो एक चीज़ उसके साथ होती है वह है- डर. पति के जाने के बाद खूबसूरत आंखों वाली फुलेसरा की बहु को समाज डायन करार दे देता है और वह गांव-समाज से अलग कर दी जाती है. फुलेसरा की बहु की ज़िंदगी क्या मोड़ लेती है? सुनिए बोलती कहानियां का ये विशेष एपिसोड ‘फुलेसरा बहू की आंख’.
“बाबा, कोई डायन कैसे बनती है?” सूखी झील के किनारे खड़े होकर भागीरथ जब यह सवाल अपने पिता मलिंदर से पूछता है, उस वक्त उसकी बिछड़ी हुई मां की परछाई उसके ऊपर मंडरा रही होती है. महाश्वेता देवी की कहानी बायन में भागीरथ अपनी मां को याद करता है और यह जानने की कोशिश करता है कि कैसे उन्हें डोम समुदाय ने बायन (डायन) कहकर अलग कर दिया.
मैं जेल के भीतर काम करती हूं. मैं जिनके साथ काम करती हूं वे कैदी है. तो मैं क्या हूं? सामाजिक कार्यकर्ता भी कई तरह के होते हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हैं. पर, अक्सर जेल के भीतर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं से पूछा जाता है कि, “कोई जेल में क्यों काम करना चाहेगा?”
एपिसोड 06
F रेटेड के इस सीज़न फिनाले में मिलिए ग्रामीण डिजिटल न्यूज़चैनल ‘खबर लहरिया’ से जुड़ी पत्रकार सुनीता प्रजापति से, जो अपराध और खामोशी के बीच क्राइम रिपोर्टिंग करने की अपनी यात्रा पर हमें साथ लेकर जाती हैं. उत्तर-प्रदेश के महोबा ज़िले से पत्रकारिता की शुरुआत करने वाली सुनीता के काम का विस्तार दिल्ली जैसे महानगर तक फैला है.
एपिसोड 05
F-रेटेड इंटरव्यूह में आगे बढ़ते हुए हम पहुंच चुके हैं अपने पांचवें एपिसोड में जहां इस बार हमारे साथ हैं एक ऐसी पत्रकार जो कभी किसी न्यूज़रूम या एडिटोरियल मीटिंग का हिस्सा नहीं रहीं. उनके लिए स्वतंत्र पत्रकारिता ही वो रास्ता है जिसके ज़रिए वो अपनी बात अपने दम पर रख सकती हैं.
एपिसोड 04
F-रेटेड इंटरव्यूह के चौथे एपिसोड में हमारे साथ हैं नेहा दीक्षित, जो एक स्वतंत्र पत्रकार हैं और दिल्ली में रहती हैं. उन्होंने कई विभिन्न माध्यमों में चर्चित एवं प्रसिद्ध संस्थानों के साथ काम किया है. इसमें प्रमुख हैं: कारवां, आउटलुक, द वायर, न्यूज़मिनिट, अल जज़ीरा टीवी, और वॉशिंगटन पोस्ट.
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