निरंतर रेडियो

पॉडकास्ट

यहां हम आवाज़ का सहारा लेते हुए पॉडकास्ट, कहानियां, किस्से और बातें रेडियो पर लाते हैं. ये रोज़मर्रा के अनुभव हमारे आस पास से लेकर सामाजिक नीतियों तक को समझने में मदद करते हैं. ये संवाद जेंडर और पितृसत्ता पर ठोस समझ बनाने का प्रयास हैं.

एपिसोड 06
F रेटेड के इस सीज़न फिनाले में मिलिए ग्रामीण डिजिटल न्यूज़चैनल ‘खबर लहरिया’ से जुड़ी पत्रकार सुनीता प्रजापति से, जो अपराध और खामोशी के बीच क्राइम रिपोर्टिंग करने की अपनी यात्रा पर हमें साथ लेकर जाती हैं. उत्तर-प्रदेश के महोबा ज़िले से पत्रकारिता की शुरुआत करने वाली सुनीता के काम का विस्तार दिल्ली जैसे महानगर तक फैला है.
एपिसोड 05
F-रेटेड इंटरव्यूह में आगे बढ़ते हुए हम पहुंच चुके हैं अपने पांचवें एपिसोड में जहां इस बार हमारे साथ हैं एक ऐसी पत्रकार जो कभी किसी न्यूज़रूम या एडिटोरियल मीटिंग का हिस्सा नहीं रहीं. उनके लिए स्वतंत्र पत्रकारिता ही वो रास्ता है जिसके ज़रिए वो अपनी बात अपने दम पर रख सकती हैं.
एपिसोड 04
F-रेटेड इंटरव्यूह के चौथे एपिसोड में हमारे साथ हैं नेहा दीक्षित, जो एक स्वतंत्र पत्रकार हैं और दिल्ली में रहती हैं. उन्होंने कई विभिन्न माध्यमों में चर्चित एवं प्रसिद्ध संस्थानों के साथ काम किया है. इसमें प्रमुख हैं: कारवां, आउटलुक, द वायर, न्यूज़मिनिट, अल जज़ीरा टीवी, और वॉशिंगटन पोस्ट.
एपिसोड 03
F - रेटेड इंटरव्यूह के तीसरे एपिसोड में मिलते हैं निधि सुरेश से जो हमें लखीमपुर और हाथरस ले जाती हैं और घटनास्थल पर अपराध के बाद होने वाली हिंसा को अपनी पत्रकारिता के ज़रिए दिखाती हैं. वह स्थानीय पत्रकारों के साथ काम करने के लिए रणनीतियां आज़माती हैं और धीमे और शांत प्रश्नों के महत्त्व पर प्रकाश डालती हैं, तब भी (और विशेष रूप से) जब पत्रकारों की भीड़ एक कहानी को कवर कर रही हो.
एपिसोड 02
F रेटेड इंटरव्यूह के दूसरे एपिसोड में मिलिए नीतू सिंह से जो एक स्वतंत्र पत्रकार, मीडिया प्रशिक्षक और शेड्स ऑफ रूलर इंडिया यू-ट्यूब चैनल की संस्थापक हैं. पत्रकारिता के अपने करियर की शुरुआत ग्रामीण मीडिया संस्थान ‘गांव कनेक्शन’ से करने वाली नीतू अपने काम के ज़रिए इस सोच को चुनौती देती हैं कि एक रिपोर्टर का काम सिर्फ़ घटना के बारे में जानकारी देना भर है.
एपिसोड 01
F - रेटेड इंटरव्यू के पहले एपिसोड में मिलिए द्विभाषी लेखक एवं पत्रकार प्रियंका दूबे से. इस एपिसोड में प्रियंका, 14 साल के अपने खोजी रिपोर्टिंग करियर के दौरान हिंसा, सामाजिक न्याय और मानवधिकारों से जुड़े मामलों पर व्यापक स्तर पर लिखने, खुद की तैयारी, जीवन पर उसके प्रभाव और कविताओं के साथ, पर विस्तार से बातचीत कर रही हैं.
एपिसोड 0
निरंतर रेडियो पर पेश है एक नया शो, जहां होंगी बातें F - रेटेड यानी फेमिनिस्ट रेटेड! इस शो में आप मिलेंगे अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले अभ्यासकर्ताओं से और नारीवादी नज़र को केंद्र में रखते हुए द थर्ड आई टीम के साथ होंगी रोचक, शानदार, जानदार बातें.
एपिसोड 7
इमला का मलतब है लिखने का अभ्यास करना. यह कहानी हमारे सामने इस तरह खुलती है कि स्कूल के भीतर कक्षा में मास्टर रामदास बेंत झुलाते हुए फौजी जनरल की तरह चलते हैं. मास्टरजी का खौफ इतना है कि चलते हुए अगर वो किसी बच्चे के सामने रुक जाएं तो उसकी सांस अटक जाती है. एक गलती पर एक बेंत उनका उसूल है. एक दिन, एक बच्चे द्वारा बदतमीज़ी करने पर उसकी शिकायत लेकर मास्टरजी उसके पिता के पास जाते हैं. बच्चे के पिता गांव के प्रधान हैं. अब, प्रधान के सामने मास्टरजी की जो हालत होती है वह देखने लायक है. क्या होता है वहां? यह तो आपको कहानी सुनने के बाद ही पता चलेगा...
एपिसोड 3
लड़कियां या औरतें समझौता करना कहां से सीखती हैं? कैसे वे मायके और ससुराल में सभी को खुश रखने के लिए अपनी खुद की ज़िंदगी को होम करने के लिए तैयार हो जाती हैं? सच यह है कि पैदा होने से लेकर बड़े होने तक अपने आसपास मां, बहन, दादी, चाची, नानी...इन सभी को वे समझौता करते ही देखती हैं.
एपिसोड 2
लड़कियां या औरतें समझौता करना कहां से सीखती हैं? कैसे वे मायके और ससुराल में सभी को खुश रखने के लिए अपनी खुद की ज़िंदगी को होम करने के लिए तैयार हो जाती हैं? सच यह है कि पैदा होने से लेकर बड़े होने तक अपने आसपास मां, बहन, दादी, चाची, नानी...इन सभी को वे समझौता करते ही देखती हैं. और इस तरह घर-परिवार की खुशी के लिए अपने आप ही वे समझौता करने लगती हैं. क्या होता है जब कोई औरत इस चक्र को तोड़कर खुद के लिए खड़ी होती है? उस समय कौन उसका साथ देता है?
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