मनीषा चांडा के लेख

मनीषा चांडा फलोदी में निरन्तर संस्था के माध्यम से द थर्ड आई के साथ बतौर डिजिटल एजुकेटर कार्यरत हैं. वे जेंडर, स्वास्थ्य, यौनिकता तथा शिक्षा आदि मुद्दों पर हाशिए पर धकेल दिए गए तबकों के साथ डिजिटल तकनीकी के माध्यम से काम करती हैं.

दुनिया रोज़ बनती है

कोविड की दूसरी लहर के दौरान लोग न केवल बीमारी से परेशान थे बल्कि भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी से बेहाल वे अनाज के एक-एक दाने के लिए तड़प रहे थे. हाशिए पर रह रहे लोगों के लिए यह दोहरी मार है. मनीषा ने बाकि साथियों के साथ मिलकर द थर्ड आई रिलीफ़ वर्क के ज़रिए फलौदी गांव के कई इलाकों में घूम-घूम कर अनाज बांटने का काम किया ताकि लोगों को थोड़ी राहत मिल सके.

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