नाज़िया अख़्तर के लेख

लेखक नाज़िया अख़्तर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IIIT) हैदराबाद के ह्यूमन साइंस रिसर्च ग्रुप विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं. 2017 में उन्हें उर्दू गद्य लिखने के लिए हैदराबादी महिलाओं द्वारा न्यू इंडिया फाउंडेशन फेलोशिप से नवाज़ा गया था. 2022 जुलाई में उनकी पहली किताब 'बीबीज़ रूम: हैदराबादी विमेन एंड ट्वेंटिएथ सेंचुरी उर्दू प्रोज़' (बीबी का कमरा: हैदराबाद महिलाएं और बीसवीं सदी का उर्दू गद्य) प्रकाशित हुई.

जानिए 20वीं शताब्दी की प्रगतिशील महिला साहित्यकारों को

19वीं सदी के हैदराबाद में उर्दू गद्य और पत्रकारिता के विकास और इसके समानांतर चलने वाले समाज सुधार कार्यक्रमों ने कुछ दशकों बाद शुरू हुए प्रगतिशील आंदोलन में अहम भूमिका अदा की.

क्या आप भारतीय महिलाओं के साहित्यिक लेखन के 150 साल पुराने इतिहास के बारे में जानते हैं?

हैदराबादी महिलाएं 19वीं सदी के उत्तरार्ध से ही उर्दू भाषा में साहित्य सृजन कर रही थीं. वैसे यह कोई अनूठी बात नहीं क्योंकि यह वही दौर था जब बिहार और बंगाल जैसे राज्यों में भी महिलाएं साहित्य रचना कर रही थीं. स्त्री लेखन के इस उभार के अपने ऐतिहासिक कारण रहे हैं, जिन पर इस लेख में मैं बाद में बात करूंगी.

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