पूर्णिमा गुप्ता के लेख

पूर्णिमा नारीवादी और महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं. 1998 से वे नई दिल्ली स्थित निरंतर ट्रस्ट में काम कर रही हैं. उन्होंने उ.प्र. के ललितपुर ज़िले में महिलाओं की साक्षरता/शिक्षा और सशक्तिकरण पर निरंतर के सामुदायिक कार्यक्रम – “सहजनी शिक्षा केंद्र” की स्थापना करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने निरंतर में महिला साक्षरता/शिक्षा और सशक्तिकरण कार्यों का समन्वय करते हुए करीब देशभर में 80 से अधिक संगठनों के साथ काम किया है. वर्तमान में वे निरंतर में महिला साक्षरता व शिक्षा और सशक्तिकरण कार्यक्रम निदेशक हैं. उन्होंने बीएचयू से क्लिनिकल मनोविज्ञान में एम.ए. किया है.

“लाल मिर्च हरी मिर्च मिर्च बड़ी तेज़, देखने में भोली-भाली लेकिन दीदी बड़ी तेज़’’

महिलाओं और किशोरियों के साथ उनकी साक्षरता पर काम करते हुए मुझे कुछ 20 साल से भी ज़्यादा समय हो गया है. चिट्ठी लेखन मुझे आज भी साक्षरता और शिक्षा कार्यक्रम की सीखने-सिखाने की पद्धति के रूप में एक महत्त्वपूर्ण साधन या टूल लगता है.

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