अभिषेक अनिक्का के लेख

अभिषेक अनिक्का एक लेखक, कवि एवं परफॉर्मर हैं. वे आजकल दरभंगा, बिहार में रहते हैं. अपनी पहचान वे एक विकलांग व्यक्ति के रूप में करते हैं और बार-बार होने वाली बीमारियों के साथ जीवन यापन करते हैं. उनके लेख हिंदी और अंग्रेज़ी के प्रमुख अख़बारों, पत्रिकाओं और वेबसाइट्स पर प्रकाशित किए जाते रहे हैं. वे काव्य पाठन और परफॉर्मेंस को विकलांगता के बारे में जागरूकता फैलाने का माध्यम मानते हैं और अब तक चालीस से अधिक जगहों पर परफॉर्म कर चुके हैं. आजकल वे विकलांगता और बीमारी की कहानियों को नाटक और लेखन के माध्यमों द्वारा प्रस्तुत करने में प्रयासरत हैं.

कितकित

कितकित का खेल. सब आंखें तुम पर टिकी हैं. और तुम खड़े हो एक खाने के बीच, एक टांग पर. झुककर उठाते हुए गोटी. कंगारू की छलांग. टक, टक, टक. अपने आप को गिरने मत देना, झुको, उठाओ गोटी, और फिर से लौट जाओ, जहां से शुरुआत की थी.

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