अचल डोडिया के लेख

आर्किटेक्ट के स्टुडेंट अचल डोडिया, शहर और उसके भीतर की जगहों को ईंट और गिट्टी से बनी इमारतों में नहीं देखते बल्कि उनके लिए शहर प्यार और करूणा की वो जगहें है जहां कोई खुलकर अपनी ज़िंदगी जी सकता है. उन्हें न केवल कॉफी पीना बहुत पसंद है बल्कि वो इसे अपनी डायरी के पेज पर रंग की तरह इस्तेमाल भी करते हैं. पैदल चलते हुए वे शहर को नापते हैं और उसे अपनी कॉपियों में कैद भी करते चलते हैं. अचल को मंडाला बनाने का शौक है. ज़ंग लगी हुई, टूटी-बिखरी और सीलन से भरी दीवारें - ये सब उनकी कहानियों में अपनी जगह पाते हैं.

दिल्ली की सड़कों पर घूमते हुए

शहर जहां अपने लोगों को पहचान देता है वहीं इसकी भीड़ में बहुत आसानी से गुम हुआ जा सकता है. पर, क्या ये सभी के लिए संभव है? क्या होता है जब शहर किसी को अलग-थलग कर दे? क्या शहर का नक्शा हर तरह के व्यवहार और नज़रियों को ज़ेहन में रखकर तैयार किया जाता है?

वे कौन सी जगहें हैं जहां मैं सबसे ज़्यादा क्वियर होता हूं?

अचल, द थर्ड आई शहर संस्करण के ट्रैवल फेलो प्रोग्राम का हिस्सा हैं. उनके द्वारा बनाया गया तीन हिस्सों में बंटा यह कॉमिक्स सीरीज़ एक क्वियर की नज़र से शहर को देखने का प्रयास है.

किसी की ज़िंदगी का स्टेपनी

वड़ोदरा, गुजरात में पढ़ाई कर रहे ट्रैवल फेलो अचल, चित्रों और शब्दों के ज़रिए शहर के किस्सों को काग़ज़ पर उतारते हैं. तीन हिस्सों में बंटा यह कॉमिक्स सीरीज़ एक क्वियर की नज़र से शहर को देखने का प्रयास है.

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