अशरफ हुसैन और अजफरुल शेख के लेख

अशरफ हुसैन और अजफरुल शेख द थर्ड आई की लर्निंग लैब के शुरुआती डिजिटल एडुकेटर्स में से हैं. ये दोनों FACE संस्था के साथ जुड़े हैं. ये संस्था पाकुर (झारखण्ड) में जेंडर और शिक्षा पर काम करती है.

दरस का पेड़

वो कौतूहल ही था जिसने अशरफ हुसैन और अज़फरूल शेख के कदमों को उधर की ओर मोड़ दिया जिधर स्थानीय मदरसा हुआ करता है और जिसके पास से वे अक्सर गुज़रा करते थे, पर अंदर जाने का मौका नहीं मिलता था.

अगर प्रकृति के साथ कुछ बुरा होता है तो क्या वो अपराध कहलाएगा?

लर्निंग लैब में जब हमने क्राइम पर चर्चा शुरू की तो एक ख्याल बार-बार आता रहा. किसी इंसान के साथ कुछ गलत करो तो वह अपराध कहलाता है, पर अगर प्रकृति के साथ कुछ गलत करो, तो क्या वो भी अपराध माना जाएगा? इस सवाल की पेचीदगी को समझने के लिए हमने कुछ लिखित और विज़ुअल नोट्स बनाए हैं, जिन्हें आपके साथ साझा कर रहे हैं.

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