हिना सोनकर के लेख

हिना दिल्ली की रहने वाली हैं. उन्होंने आंबेडकर यूनिवर्सिटी, दिल्ली से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है. शहरों और गांवों में सामाजिक मुद्दों को समझने के लिए कई संगठनों के साथ काम किया है. हिना का मानना है कि जब तक हम ज़मीनी हकीकत और हाशिए पर पड़े लोगों के नज़रिए को नहीं समझेंगे, तब तक बदलाव लाना मुश्किल है. उन्हें ज़मीनी स्तर पर काम करना और कहानियों को कलमबंद करना पसंद है.

“सब जानता हूं कि तुम लोग क्या खाते हो, क्या नहीं.”

‘खाना’ शब्द सुनते ही भूख सी लगने लगती है. तरह-तरह के व्यंजन और पकवान दिमाग में घूमने लगते हैं. लेकिन मेरे लिए यह जीभ, पेट या मन की भूख को मिटाने का साधन भर नहीं है. इसके साथ मेरा एक अजीब ही रिश्ता है. इसे लेकर मेरे दिल और दिमाग में एक डर सा बैठा रहता है, या यूं कहें कि यह डर बिठाया गया है. ये वो डर है जो बचपन से अब तक गया नहीं.

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