जया शर्मा के लेख

जया शर्मा, एक नारीवादी, क्वीर, किंकी कार्यकर्ता और लेखक हैं. जया ने, जेंडर और शिक्षा से जुड़े मुद्दे पर निरंतर संस्था के साथ लगभग दो दशक से भी अधिक समय तक काम किया है. इस दौरान वे ग्रामीण महिलाओं के साथ काम करने वाले संगठनों के लिए यौनिकता विषय पर ट्रेनिंग के काम से गहराई से जुड़ी रहीं. एक क्वीर कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने दिल्ली में कई तरह के क्वीर मंचों की शुरुआत की. वे वॉइसेज़ अगेंस्ट 377 नामक समूह की सह-संस्थापक हैं. जया, किंकी कलेक्टिव (Kinky Collective) की संस्थापक सदस्यों में से एक हैं - यह एक ऐसा समूह है जो बीडीएसएम से जुड़ी जानकारी फैलाने और उस समुदाय को मज़बूत करने का काम करता है. वर्तमान में, जया सेक्सुअलिटी को दिल-दिमाग (psyche) के नज़रिए से समझने और उस पर लेखनी करने की कोशिश कर रही है.

अवचेतन और यौनिकता शृंखला, भाग 1 – कमी

मेरे लिए दिलो-दिमाग या अवचेतन (गफिल), ये उन सारी हकीकतों का एक दायरा है, जिसे सीधे—सीधे न महसूस किया जा सकता है, न सोचा जा सकता है. इसे सीधे सुना, देखा या छुआ भी नहीं जा सकता. फिर भी यह एक ज़ोर है जो बहुत ही ताकतवर है, और जो निरंतर हर उस चीज़ पर असर करता है जिसे हम महसूस करते हैं, सोचते हैं और समझते हैं.

सर जो तेरा चकराए…यौनिकता और अवचेतन शृंखला – परिचय

हमारी ज़िंदगी में मज़ा और खतरा एक तरह से गड्ड-मड्ड है. ये हमारे भीतर भी है और आसपास भी. लज़ीज या नागवार- ये ज़िंदगी के पहलू हैं. ये हमें चौंकाते हैं. इस हैरानी को पहचानना, इसे समझना ज़रूरी है. आखिर मज़ा और खतरा इतने गहरे क्यों जुड़े हुए हैं? एक दूसरे में गुथे क्यों है? इसे समझने के लिए मैं अपनी ज़िंदगी के उदाहरणों को आपके साथ साझा करना चाहूंगी. मज़ा और खतरा के अलग-अलग होने या एक दूसरे के विपरित होने की समझ को चुनौती देते हैं.

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