मिलानी संघा के लेख

मिलानी, वर्तमान में झारखंड में जन-प्रतिनिधि के रूप में नगर पंचायत प्रमुख हैं. वे दूसरी बार चुनी गई हैं. समाज की बेहतरी के लिए काम करने की उनकी लगन, 10 साल पहले उन्हें राजनीति में लाई. उनके जीवन में बहुत बड़ा मोड़ तब आया जब वे हॉकी टूरनामेन्ट में इसलिए नहीं खेल पाईं क्योंकि उन्होंने रिश्वत देने से इंकार कर दिया था. लेकिन उनका मानना है कि आज भी वे पेड़ों पर चढ़ सकती हैं और पी.टी. उषा से भी मुकाबला कर सकती हैं.

“गांव में लोग रात में मछली पकड़ते हैं और शहरों में अपना काम पूरा करके सो जाते हैं”

मेरा गांव कोंकेया, झारखंड के खूंटी ज़िले में आता है. मुझे वहां के पर्व-त्यौहारों में सभी के साथ मिलकर नाचना-गाना, एक-दूसरे के घर जाना, मिठाई खाना, वहां की चहल-पहल अच्छी लगती है. खासकर जब ढोल, नगाड़े, मादर बजते हैं और लोग साथ में गाने हैं, मुझे बड़ी खुशी होती है.

“पहले घर में कपड़े रखने के लिए कुछ नहीं था, तो मुझे बहुत खुशी हुई कि अब मेरे घर में भी बक्सा है.”

मैं अपने गांव कोंकेया से, जो झारखंड के खूंटी ज़िले में आता है, दिल्ली इसलिए गई कि मेरे गांव की दो लड़कियां दिल्ली गई हुई थीं. जब भी दोनों गांव आती थीं, अच्छे कपड़े पहनतीं, उनके पैरों में चप्पल होती, अच्छी खुशबू वाला तेल लगातीं, चेहरा गोरा यानी साफ दिखता था, मोटी होकर आतीं.

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