मैत्रेयी मिसरा के लेख

मैत्रेयी मिसरा, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, दिल्ली द्वारा चलाए जा रहे आपराधिक न्याय कार्यक्रम प्रोजेक्ट 39 ए की प्रमुख हैं. यह कार्यक्रम मृत्युदंड से जुड़े मिटिगेशन प्रैक्टिस के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य और आपराधिक न्याय के विषयों पर काम करता है. वे प्रोजेक्ट 39 ए द्वारा जारी रिपोर्ट ‘डेथवर्दी:ए मेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव ऑफ द डेथ पेनल्टी’ की प्रमुख लेखिका भी हैं.

जेल के भीतर मानसिक विकलांगता से जूझ रहे कैदियों की देखभाल का मकसद आखिर क्या है?

जेल एक ऐसी जगह है जो असल में चारों तरफ से दीवारों से घिरी हुई है. इसके साथ यह हमारे समाज का हिस्सा है भी और नहीं भी है. इन दोनों बातों में एक विरोधाभास है. जेल वो जगह है जो संदेह और अविश्वास के ज़रिए अकेलेपन को बढ़ावा देती है. तो, यह एक ऐसी जगह है जो खुशी के बिलकुल खिलाफ है.

अपराध को देखने का नारीवादी नज़रिया क्या है?

प्रोजेक्ट 39 ए, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39-ए से प्रेरित है. अनुभवजन्य शोध की पद्धतियों का उपयोग कर आपराधिक न्याय प्रणाली में प्रथाओं और नीतियों की पुन: पड़ताल के साथ-साथ प्रोजेक्ट 39 ए का उद्देश्य कानूनी सहायता, यातना, फोरेंसिक, जेलों में मानसिक स्वास्थ्य और मृत्युदंड पर नई बातचीत शुरू करना है.

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