क्या कल्पनाओं या फंतासी की भी कोई सही या गलत दिशा होती है?
मैं एकदम देसी, मुस्लिम परिवार में पली-बढ़ी, नई-नई क्वियर हूं, और अब अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में सेक्स पर शोध करती हूं. और ‘सहमति (कंसेंशुअल)’ बिना सहमति (नॉन-कंसेंशुअल) और ‘एक ही बार विवाह करने की प्रथा (मोनोगैमी) जैसे शब्दों तक मेरी भी पहुंच है. मेरे पास विशेषाधिकार है कि मैं अपनी ‘खतरनाक’ यौन इच्छाओं के बारे में लिख सकूं.