“या तो हम सभी एक सभ्य दुनिया में रह सकते हैं, या कोई नहीं रह सकता”
रीतिका खेड़ा जो एक विकासवादी अर्थशास्त्री हैं, सार्वजनिक स्वास्थ्य को एक विचार के रुप में देख रही हैं, साथ ही वे भारत में उसके भविष्य का स्वरूप कैसा होना चाहिए, तथा क्यों लोक कल्याण और लोगों की गरिमा एक दूसरे के पूरक हैं इसपर विस्तार से चर्चा करती हैं.