उषा बी. एन. के लेख

अनुवादक, शिक्षक और छायाकार उषा बी. एन. पिछले 15 वर्षों से बेंगलुरु में स्त्री अधिकार समूहों के साथ जुड़ी हुई हैं. फिलहाल वे स्‍नातक स्‍तर पर अंग्रेज़ी पढ़ाती हैं.

“हमें अपने शरीर को देखकर शर्म आती थी, इसलिए हम खुद को और अपनी देह को पसंद नहीं करते थे”

लेखिका, रंगकर्मी और दलित एक्टिविस्ट दू सरस्‍वती की निगाह में समुदाय और व्‍यक्ति एक दूसरे से आपस में जुड़े हुए हैं. उनका रंगकर्म और कविकर्म व्‍यक्ति के निर्माण को ऐतिहासिक, राजनीतिक और सांस्‍कृतिक ताकतों की संयुक्‍त उपज मानता है.

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