वंदना राग के लेख

हिंदी साहित्य की चर्चित रचनाकार वंदना राग ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई की. इनकी पहली कहानी हंस पत्रिका में 1999 में छपी और तब से निरंतर लिखने का सिलसिला जारी है. तब से कहानियों की चार किताबें और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं - यूटोपिया, हिजरत से पहले, खयालनामा, अरु मैं और मेरी कहानियां, बिसात पर जुगनू (उपन्यास). इसके अलावा वंदना अनुवाद के कार्य में भी सक्रिय हैं.

मेरी सगीना

नए शहर की घुमक्कड़ी के रोमांच, कोरोना के खुलने के बाद की आकुलता, हउआ के सब चीज़ों को देख लेने की आकांक्षा से भरी एक टटकी बात. न्योता मिला एक शादी में जाने का. ढोल, बाजे- गाजे और बिग फैट इंडियन वेडिंग देखने का प्रलोभन कुछ ज़्यादा ही था. शादी के लिए एक नितांत नए शहर में जाना और नए किरदार खोजने का उत्साह उससे भी ज़्यादा.

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