आम्बेडकर

लाइफ इन 10 – हमारी ज़िंदगी में आम्बेडकर

2022 में डॉ. भीमराव आम्बेडकर की 131वीं जयंती पर द थर्ड आई ने कुछ शिक्षकों से बात की और उनसे जाना कि शिक्षण कार्य से जुड़े होने पर सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में आम्बेडकर उन्हें कैसे प्रभावित करते हैं.

देश छूटा लेकिन जाति नहीं छूटी, जातिवाद नहीं छूटा, जाति के नाम पर भेदभाव की फितरत नहीं छूटी

सन् 2018 में, आईआईटी मुम्बई में माधवी ने एपीपीएससी की सदस्यता ली थी. वे सर्किल की गिनीचुनी महिला सदस्यों में से एक थीं. अभी वे पीएचडी कर रही हैं. वे समूह में शामिल हुईं क्योंकि अपने बीए के दिनों की तरह यहां भी कैंपस ऐक्टिविज़्म का हिस्सा बने रहना चाहती थीं…

उच्च संस्थानों में जाति भेदभाव_आईआईटी

क्या जाति को खत्म करने की मशीन बन सकती है?

यह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में सक्रिय छात्र समूहों पर तैयार की गई रिपोर्ट का एक अंश है. वह समूह जो कि प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों, विशेष रूप से इंजीनियरिंग संस्थानों में जाति आधारित भेदभाव के बारे में छात्रों को शिक्षित करने और उनमें जागरूकता पैदा करने का काम करते हैं.

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