सीखने-सिखाने में हमेशा डर क्यों शामिल होता है?
यह कहानी इस विचार का पुरज़ोर प्रतिरोध करती है कि डर के साथ ही सीखना संभव है. ये क्लास-रूम में बैठे उन शिक्षार्थियों की कहानी नहीं कह रही जो किसी नियम को नहीं मानते, बल्कि यह उस क्लास के एक कोने में चुपचाप बैठे उन अंतर्मुखी विद्यार्थियों की कहानी कहती है जो अकेले नहीं हैं.