
“एलजीबीटी लोगों पर किस देश का कानून लागू होता है?”
क्वीयरबीट के संस्थापक बता रहे हैं कि मीडिया संस्थानों खासकर हिंदी मीडिया में LGBTQIA+ पहचानों को लेकर किस तरह के छिपे और ज़ाहिर पक्षपात देखने को मिलते हैं.
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क्वीयरबीट के संस्थापक बता रहे हैं कि मीडिया संस्थानों खासकर हिंदी मीडिया में LGBTQIA+ पहचानों को लेकर किस तरह के छिपे और ज़ाहिर पक्षपात देखने को मिलते हैं.

“कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात। भरे भौन मैं करत हैं, नैननु ही सब बात।।”
इस कहानी मे हल्की खुमारी है, वो जो हो सकता था पर हुआ नही. पर वो ऐसा है जो चुपके-चुपके होता भी रहा. ये कैसा इश्क है भला?

किताबें बहुत सी पढ़ी होंगी तुमने, मगर कोई चेहरा भी तुमने पढ़ा है? लक्की ने जब पढ़ने की कोशिश की तो हवाएं थम सी गईं, पृथ्वी ने घूमना बंद कर दिया… क्या आपके साथ भी ऐसा हुआ है?

एक हल्की सी छुअन और दो जानों का पिघलकर मोम हो जाना! रूमाइल और साइमा के बीच उस 10 सेकेंड में क्या-क्या घटा?

किसी के हल्का सा छू लेने भर से सामने वाले की इंटेंशन को समझ लेना लड़कियों के भीतर ‘गॉड गिफ्टेड’ क्वालिटी है. विधि के लिए अब टाइम था इसे इस्तेमाल करने का क्योंकि अयान ने उसे घर बुलाया है. आखिर विधि को अयान के बारे में क्या पता चला?

शादी के बाद पहली रात। एक तरफ नींद की खुमारी तो दूसरी तरफ बात करने की बेचैनी. इन दोनों के बीच वो सब कुछ जो शादी की पहली रात अपने भीतर समेटे होती है. आखिर पहला कदम कौन बढ़ाए?!

हिन्दुस्तान में शादी होती दो लोगों के बीच है लेकिन शादी के माहौल में न जाने कितने जोड़े बनते हैं, कितने ख्वाब बुने जाते हैं, ख्वाहिशें उड़ानें भरती हैं… पर इनमें से एक भी अगर हकीकत में बदल जाए तो पसीने छूट जाते हैं!

वो 17 साल में पहली बार घर से बाहर दूर किसी जगह एक कैंप में रुकी थी। पहली बार किसी ने बताया कि खुद को आईने में देखो, कैसा लगता है…पहली बार खुद को किस किया!

रात, शर्म, रोमांस, पानी और क्या? ‘फ से फ़ील्ड, इश्श से इश्क’ ऑडियो सीरीज़ में प्यार, फंतासियां, चाहतें, गुस्सा, मोहब्बतें – ये सबकुछ है. चाहतों, मज़ा और खतरा के अपने-अपने अनुभव जो देश के कोने-कोने से निकले हैं.

मैं एकदम देसी, मुस्लिम परिवार में पली-बढ़ी, नई-नई क्वियर हूं, और अब अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में सेक्स पर शोध करती हूं. और ‘सहमति (कंसेंशुअल)’ बिना सहमति (नॉन-कंसेंशुअल) और ‘एक ही बार विवाह करने की प्रथा (मोनोगैमी) जैसे शब्दों तक मेरी भी पहुंच है. मेरे पास विशेषाधिकार है कि मैं अपनी ‘खतरनाक’ यौन इच्छाओं के बारे में लिख सकूं.