Volume 002: Public Health

मैंने साफ किया तुम्हारा

मन के मुखौटे Ep 3: मैंने साफ किया तुम्हारा

मानसिक स्वास्थ्य के तयशुदा खांचे से बाहर निकल, उसे आपबीती और जगबीती के अनुभवों एवं कहानियों के चश्मे से समझने की एक महत्वाकांक्षी पहल “मन के मुखौटे” के ज़रिए हम एक बार फ़िर वापस मानसिक स्वास्थ्य की तरफ़ मुड़कर देख रहे हैं. इस पॉडकास्ट सीरीज़ के नए एपिसोड में हम देखभाल से जुड़े मुद्दों पर सवालों और अनुभवों के ज़रिए इसे समझने का प्रयास कर रहे हैं.  

रहोगी तुम वही

मन के मुखौटे Ep 2: रहोगी तुम वही

मानसिक स्वास्थ्य के तयशुदा खांचे से बाहर निकल, उसे आप बीती और जग बीती के अनुभवों एवं कहानियों के चश्में से समझने की एक महत्वाकांक्षी पहल – मन के मुखौटे- के दूसरे एपिसोड में हम लेकर आए हैं कथाकार सुधा अरोड़ा की कहानी ‘रहोगी तुम वही’. सुनिए कैसे भावनात्मक हिंसा की छोटी-छोटी किरचें इस कहानी में साफ-साफ दिखाई देती हैं.  

अड़ियल दुख

मन के मुखौटे Ep 1: अड़ियल दुख

जन स्वास्थ्य विशेषांक में इस हफ़्ते हम आंखें बंद कर अपने मन-मस्तिष्क के भीतर झांकने की कोशिश कर रहे हैं. पब्लिक हेल्थ एवं पॉलिसी पर अभी तक हम कई तरह के सवाल-जवाब कर चुके हैं.

अकेले हैं तो क्या ग़म हैं

विशेष फीचर: कोरोनाकाल और मैं – अकेले हैं तो क्या ग़म हैं?!

कोरोना की दूसरी लहर अब मद्धम पड़ रही है. लॉकडाउन खुल रहे हैं. धीरे-धीरे बाहर की दुनिया के पर्दे उठने लगे हैं. लेकिन, भीतर अब भी बहुत कुछ अंधेरे में हैं.

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