घर के भीतर होने वाले ख़राब व्यवहार और उससे बचने के लिए औरत द्वारा इजाद किए गए अपने तरीकें आश्चर्यजनक रूप से इस कहानी में सामने आते है. सोचने पर मजबूर करने और हमें आईना दिखाने का काम करने वाले ‘मन के मुखौटे’ का यह दूसरा एपिसोड घर के भीतर की दुनिया की परतों को एक-एक कर छीलता हुआ उस सच्चाई से रू-ब-रू करवा रहा है जिसे औरत सदियों से घर के भीतर झेल रही है.
विशेष साभार- पूर्णिमा गुप्ता निरंतर ट्रस्ट से
आवरण चित्र: तबस्सुम अंसारी
आवरण : सादिया सईद
प्रस्तुति: माधुरी अडवानी