
अवचेतन और यौनिकता शृंखला l भाग 4: यमी-यकी
चौथे भाग में नारीवादी कार्यकर्ता और लेखक जया शर्मा अपने विश्लेषण के ज़रिए बता रही हैं कि कैसे हमारी सबसे अजीबोगरीब यौन कल्पनाएं हर तरह के तर्क के बिल्कुल खिलाफ होती हैं और फिर भी हमें ये समझ आती हैं. जया, यहां मनोविश्लेषण पर नारीवादी दृष्टिकोण का भी गहराई से चिंतन करती हैं.


