रुचिका नेगी के लेख

रुचिका नेगी द थर्ड आई की एसोसिएट एडिटर हैं.

बात छिड़ेगी तो दास्तान बन जाएगी

ज़िंदगी में सबसे पहले हम अपनी सोच को एक संगठित तरीके से पेश करना कहां सीखते हैं? किस तरह की कल्पना और तथ्य के मिश्रण से इस सोच का जन्म होता है? वे कौन से कारक हैं जो एक सोच की उत्पत्ति से अभिव्यक्ति तक के फासले को प्रभावित करते हैं?

मां को देखते हुए!

एक टीचर ने जब स्टूडेंट्स को एकांतवास (अकेले रहने) या फिर सीमाओं के भीतर रहने के पहलुओं पर सोचने को कहा तो उसने सोचा नहीं था कि क्लास में आधे से ज़्यादा विद्यार्थी अपनी मांओं को अपनी छवियों का केंद्र बनाएंगे.

नौ लंबे महीने

क्या एक महिला की कोख अपने घर परिवार को आगे बढ़ाने के अलावा कोई और भूमिका निभा सकती है? क्या उसकी कोख उसकी आजीविका का माध्यम भी बन सकती है?

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