निरंतर रेडियो

पॉडकास्ट

यहां हम आवाज़ का सहारा लेते हुए पॉडकास्ट, कहानियां, किस्से और बातें रेडियो पर लाते हैं. ये रोज़मर्रा के अनुभव हमारे आस पास से लेकर सामाजिक नीतियों तक को समझने में मदद करते हैं. ये संवाद जेंडर और पितृसत्ता पर ठोस समझ बनाने का प्रयास हैं.

एपिसोड 0
‘मेरा चश्मा मेरे रूल्स’ तीन एपिसोड की एक पॉडकास्ट शृंखला है. इसे द थर्ड आई ने ‘पार्टनर फॉर लॉ इन डेवलपमेंट (पीएलडी) के साथ मिलकर तैयार किया है. पीएलडी की मदद से हमारी मुलाकात बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश राज्यों से 18 से 20 साल की 4 लड़कियों से हुई.
एपिसोड 10
उसे अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए पैसों की ज़रूरत थी. उसने बहुत सारी तरकीबें सोच रखी थी जिससे की घरवालों से पढ़ाई के लिए पैसा भी निकाल ले और उन्हें पता भी न चले. लेकिन, वो कहावत है न, तु सेर तो मैं सवा सेर; उसकी कहानी के सवा सेर उसके पिताजी हैं जो हमेशा उसकी तरकीबों से एक कदम आगे की सोच रखते हैं. सुनिए एक पिता और एक बेटी की कहानी, कुलसुम की ज़ुबानी. ये इस शृंखला की आखरी कहानी है.
एपिसोड 9
"छोटी बहू, अरे ओ छोटी बहू..." घर में सुबह से लेकर रात तक बस यही एक राग सुनाई देता है. घर हो या बाहर या फिर काम की जगह, उसका पूरा दिन सिर्फ़ भागते-दौड़ते ही बीत जाता. कभी शरारती सुनिता के नाम से मशहूर,आज वो सिर्फ़ छोटी बहू बनकर रह गई है...क्या है छोटी बहू की कहानी सुनिए राजकुमारी और आरती अहिरवार की ज़ुबानी.  
एपिसोड 8
'ये इश्क नहीं आसां इतना ही समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है'. इश्क मजाज़ी, इश्क मजनूंई कुछ भी कह लिजिए, पर जब चाहतें फ्रेंड रिक्वेस्ट की शक्ल में भेजी जाती हैं और कबूल कर ली जाती हैं तो दिल अपनी कुर्सी से उछल पड़ता है. लेकिन, इस बेपरवाही से उछलने में चोट लगने का डर तो होता ही है! विकास के हॉस्टल डायरी के पन्नों से सुनिए जोधपुर के किस्से जहां एक तरफ हाईक मेसेंजर में इमोजी के ज़रिए इश्क का हाल बताने की बेताबी है तो दूसरी तरफ परिवार-समाज में "अच्छा लड़के" की छवि को बनाए रखने की कशमकश. इस हालत में विकास क्या करे! सुनिए खुद उसकी ज़ुबानी.
एपिसोड 7
राजस्थान के जोधपुर जिले, एक छोटे से कस्बे में एक शाम विकास अपने खत्री होस्टल से निकलकर ओसवाल होस्टल की तरफ बढ़ा जा रहा था. ओसवाल होस्टल के पास जियो का नया टावर लगा है जहां इंटरनेट की स्पीड बहुत तेज होती है. विकास वहां फ़िल्में डाउनलोड करने जा रहा है. समानांतर उसके दिमाग में कुछ सवाल भी डाउनलोड हो रहे थे.
एपिसोड 6
सारी पढ़ाई, सारा विज्ञान एक तरफ और कुंवारी लड़की का किसी महीने पीरिड़्स न आना एक तरफ! क्या नहीं होता उसके बाद. घर-परिवार, डॉक्टर, टीचर और दोस्त सब मिलकर इस बिन-बनाई गुत्थी को सुलझाने में लग जाते हैं. ऐसे में तरह-तरह के अनुमान, डर और भ्रम का माहौल बन जाना तो लाजिम़ी है. सुनिए एक रंगरेज कहानी, शोभा की ज़ुबानी.
एपिसोड 5
गीता की कॉलोनी में एक ऐसा भूकंप आया जिसकी गति को किसी भी तरह के रिक्टर स्केल से नहीं मापा जा सकता था. क्योंकि ये भूचाल ज़मीन के भीतर से नहीं बल्कि उसकी कॉलोनी के एक घर से निकला था और अब पूरे मोहल्ले में इसकी खबर फैल चुकी थी. हुआ यूं कि गीता के मोहल्ले से एक लड़की, किसी दूसरी जाति के अपने लड़के दोस्त (ब्यॉफ्रेंड) के साथ घर छोड़कर भाग गई.
एपिसोड 4
उसने अभी-अभी कोलेज की परीक्षा पास की है. इससे पहले की वो आगे की पढ़ाई के बारे में सोच पाता, परिवार वालों ने उसकी शादी तय करने का फैसला कर लिया. अचानक अपनी ज़िन्दगी में आई इस परेशानी से वो युवा लड़का बहुत बेचैन हो उठा. अभी उसकी उम्र ही क्या है, वो अभी शादी नहीं करना चाहता. निराशा और घबराहट के बीच उसने अपनी हिम्मत बटोर कर अपने घरवालों से कहा - क्या? जानने के लिए सुनिए अज़फरूल की पूरी कहानी. 
एपिसोड 3
अचूकी से तो आप मिल ही चुके हैं. हैरत की बात यह है कि उसके मारवाड़ी समुदाय के लोग हमेशा उसके पीछे पड़े रहते हैं. वे अक्सर उसकी मां के कम पढ़े-लिखे होने का मज़ाक बनाते हैं. अपने सपनों और इच्छाओं को पूरा करने की उसकी ज़िद के लिए वे अचूकी की भी टांग-खिंचाई करते रहते हैं.
एपिसोड 2
अपनी धारदार हाज़िर-जवाबी और अविराम बोलते रहने की ज़बरदस्त कला के ज़रिए अचूकी अपने नाम को सार्थक बनाती है. जितना उत्साह उसके भीतर अपनी कहानियों को लेकर दिखाई देता है, ठीक उसके उलट अपने मारवाड़ी बनिया समुदाय के बारे में बात करते हुए वह किसी अबूझ पहेली की तरह उलझी नज़र आती है.
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