निरंतर रेडियो

एपिसोड 2

मेरा चश्मा, मेरे रूल्स Ep 2: मैं कब बढ़ी हुई?

मैं कब बढ़ी हुई
साहिबा के लिए गूगल बाबा, ज्ञान का भंडार हैं जहां वो सुबह से लेकर शाम तक लगातार घूमती रहती है और मानसिक स्वास्थ्य से लेकर तरह-तरह की जानकारियों का हल ढूंढती रहती है. ज़ूम कॉल पर 18 साल की साहिबा खुद के बारे में और खुद का ध्यान रखने के बारे में इतनी बड़ी-बड़ी बातें करती है कि सभी उत्सुकता से उसकी बातों में डूबते रहते हैं.

साहिबा की बातों में एक सवाल था जो लुके-छिपे ढंग से दिखाई दे रहा था – मैं कब बड़ी हुई?

‘मेरा चश्मा मेरे रूल्स’ तीन एपिसोड की एक पॉडकास्ट शृंखला है. इसे हमने ‘पार्टनर्स फॉर लॉ इन डेवलपमेंट (PLD) के साथ मिलकर तैयार किया है. पीएलडी की मदद से हमारी मुलाकात बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से 18 से 20 साल की 4 लड़कियों से हुई. अलग-अलग सामाजिक और पारिवारिक परिवेश से आने वाली ये लड़कियां एक साझा मंच पर किशोरावस्था के अपने अनुभवों को साझा कर रही हैं जो कभी-कभार ही हमारी पॉलिसी का हिस्सा बनते हैं. हर सोमवार सुनिए एक नया एपिसोड.

सहयोगी संस्थाएं: पार्टनर्स फॉर लॉ इन डेवलपमेंट (PLD) और द थर्ड आई (TTE)
लेखन, संपादन: माधुरी आडवाणी
आवाजें: मुस्कान, साहिबा, शौम्या और शुभांगणी
चित्रांकन – अनुप्रिया
आवरण चित्र संपादन – सादिया सईदइस प्रोजेक्ट से लिए प्राप्त सहयोग राशि यूएनएफपीए (UNFPA India) द्वारा दी गई है. अधिक जानकारी के लिए https://pldindia.org/ और https://pldindia.org/advocating-for-adolescent-concerns/ पर संपर्क करें.

माधुरी को कहानियां सुनाने में मज़ा आता है और वे अपने इस हुनर का इस्तेमाल महिलाओं के विभिन्न समुदायों और पीढ़ियों के बीच संवाद स्थापित करने के माध्यम के रूप में करती हैं. जब वे रिकार्डिंग या साक्षात्कार नहीं कर रही होतीं तब माधुरी को यू ट्यूब चैनल पर अपने कहानियों का अड्डा पर समाज में चल रही बगावत की घटनाओं को ढूंढते और उनका दस्तावेज़ीकरण करते पाया जा सकता है. समाज शास्त्र की छात्रा होने के नाते, वे हमेशा अपने चारों ओर गढ़े गए सामाजिक ढांचों को आलोचनात्मक नज़र से तब तक परखती रहती हैं, जब तक कॉफ़ी पर चर्चा के लिए कोई नहीं टकरा जाता. माधुरी द थर्ड आई में पॉडकास्ट प्रोड्यूसर हैं.
Skip to content