FEMINIST EDUCATION

छोटे शहरों की लंबी रात

फ़िल्म ‘रात: छोटे शहरों की लंबी रात’ डिजिटल एजुकेटर्स द्वारा अपने-अपने गांव और कस्बों में रात के अपने अनुभवों का चित्रण है. कौन है जो रात में बाहर निकल सकता है? कौन है जो हम पर नज़र रखता है? किस पर नज़र रखी जाती है? घुप अंधेरे के बारे में होते हुए भी यह फ़िल्म हमें उजाला दिखाती है. उजाला, नए इतिहास के बनने का.

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