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एपिसोड 2

पटनावाली Ep 2: बलकट्टी-परकट्टी

एक शहर में जाने कितने किस्से होते हैं! कुछ किस्से हममें होते हैं और कुछ किस्सों में हम होते हैं. पटना में रहनेवाली स्वाती को कहानियां सुनना-सुनाना पसंद है. वे रोज़मर्रा की ठेठ कहानियों को पटनहिया अंदाज़ में सजाकर हमारे सामने ला रही हैं. स्वाती इन कहानियों के ज़रिए कुछ बेड़ियों को टटोलती हैं और उन्हें चुनौती देती हैं.
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पटनावाली की दूसरी किस्त में स्वाती हमें मिला रही हैं ‘संस्कारानंद’ से जिनकी तर्क-विद्या से आपके भी होश उड़ जाएंगें. एक ट्रेनिंग के दौरान 16 साल के लड़के से हुई मुलाकात और उसकी परेशानी का कारण जानने के बाद यह कहना अतिश्योक्ति नहीं कि महिलाओं को अपनी पसंद का कपड़ा पहनने, बाल कटवाने या कहीं आने-जाने जैसी छोटी-छोटी आज़ादियों के लिए कई सवालों के जवाब देने पड़ते हैं.

तो सुनिए, संस्कारानंद की परेशानी पर पटनावाली ने क्या जवाब दिया – सुनकर आप भी कहेंगी, ये केवल पटनावाली की कहानी नहीं, हम सभी की कहानी है…पेश है कहानी बलकट्टी-परकट्टी.

निर्माता: सादिया सईद

मेंटर: सुमन परमार

लेखन और आवाज़: स्वाती कश्यप

चित्रांकन: आकृति अग्रवाल

द थर्ड आई की पाठ्य सामग्री तैयार करने वाले लोगों के समूह में शिक्षाविद, डॉक्यूमेंटरी फ़िल्मकार, कहानीकार जैसे पेशेवर लोग हैं. इन्हें कहानियां लिखने, मौखिक इतिहास जमा करने और ग्रामीण तथा कमज़ोर तबक़ों के लिए संदर्भगत सीखने−सिखाने के तरीकों को विकसित करने का व्यापक अनुभव है.
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