आईआईटी

देश छूटा लेकिन जाति नहीं छूटी, जातिवाद नहीं छूटा, जाति के नाम पर भेदभाव की फितरत नहीं छूटी

सन् 2018 में, आईआईटी मुम्बई में माधवी ने एपीपीएससी की सदस्यता ली थी. वे सर्किल की गिनीचुनी महिला सदस्यों में से एक थीं. अभी वे पीएचडी कर रही हैं. वे समूह में शामिल हुईं क्योंकि अपने बीए के दिनों की तरह यहां भी कैंपस ऐक्टिविज़्म का हिस्सा बने रहना चाहती थीं…

“विज्ञान की शिक्षा का मतलब मिसाइल नहीं, बल्कि सड़क, बिजली और पानी है.”

हमने प्रो. मिलिंद सोहोनी से बात की और जाना कि सार्वजिनक स्वास्थ्य की हमारी अपेक्षाओं में विज्ञान की शिक्षा की क्या भूमिका है? कब हम विज्ञान के एक उपभोक्ता के रूप में बदल जाते हैं और भूल जाते हैं कि विज्ञान ने उन लोगों की सेवा करना बंद कर दिया है जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रुरत है.

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