यौनिकता

इश्क_चाहतें

फ से फील्ड, इश्श से इश्क: मैग्ज़ीन से लेकर सुहागरात तक

मनाही, कामुकता जगाती है. जो चीज़ हमें जितनी मना होती है उसे लेकर उत्सुकता उतनी ही बढ़ जाती है. लेकिन क्या होता है जब अचानक से वो सबकुछ आपको मिल जाए? ‘फ से फ़ील्ड, इश्श से इश्क’ ऑडियो सीरीज़ में प्यार, फंतासियां, चाहतें, गुस्सा, मोहब्बतें – ये सबकुछ है.

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फ से फील्ड, इश्श से इश्क: इस्तेमाल किया हुआ कंडोम

क्या होता है जब बेटी द्वारा बहुत ही खराब तरीके से छुपाई गई चीज़ मां के हाथों में पड़ जाए? थर्रथराहट, सनसनाहट, झनझनाहट…हिंदी टीवी सीरीयल ड्रॉमा को और बढ़ाने के लिए बैकग्राउंड में जो ढैन..ढैन…ढैन…की आवाज़ें आती हैं वो सब आप ईमैजिन कर लीजिए लेकिन ये मामला तो उससे भी ज़्यादा बड़ा है! मामला है क्या? सुनने के लिए जल्दी से प्ले बटन पर क्लिक करें.

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फ से फील्ड, इश्श से इश्क: लव बाइट

मम्मी-पापा ठीक ही कहते हैं कि ‘हमें सब पता है ग्रूप स्टडी’ में क्या होता है!’ लेकिन उनको कोई कैसे ये समझाए कि ये उन्हें पता है, हमें थोड़ा न पता है. क्या होता है यही जानने के लिए तो हम साथ मिलकर पढ़ाई करते हैं! उफ्फ! इत्ती सी बात…पर, ये इत्ती सी बात कभी-कभी ज़िंदगी भर का राज़ बन जाती है…जैसा बोधी की इस कहानी में हो रहा है. क्या हो रहा है..? जानने के लिए जल्दी से प्ले बटन पर क्लिक करें.

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ट्रेलर: फ से फील्ड, इश्श से इश्क

‘फ से फील्ड, इश्श से इश्क’ प्यार, फंतासियां, चाहतें, गुस्सा, मोहब्बतें…इस ऑडियो सीरीज़ में सबकुछ है. चाहतें, मज़ा और खतरा के अपने-अपने अनुभव जो देश के कोने-कोने से निकले हैं. ये कहानियां नारीवादी नज़रिए से यौनिकता को देखने की कोशिश कर रही हैं जिसके केंद्र में हमारा अवचेतन है.

दोस्ती

क्या दोस्ती में भी ‘प्यार’ छुपा होता है?

मुझे याद है जब मैं, सारा के साथ बनारस गई थी. उस वक्त मैं इतनी डरपोक हुआ करती थी. शाम ढलने से पहले रूम पर आ जा जाती. सारा और ईशा कभी रात में अपने दोस्तों के साथ बाहर पार्टी करने निकलती लेकिन मैं उनके साथ नहीं जाती थी. किसी से ज्यादा बात नहीं करती.

सलीम_क्वीयर इतिहास

“प्रतिरोध की राजनीति ‘मज़ा’ के बिना अधूरी है.”

सलीम किदवई एक इतिहासकार और स्वतंत्र विद्वान थे, जिन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में बीस वर्षों तक अध्यापन किया है. उन्होंने मध्यकालीन और आधुनिक भारत पर कई अकादमिक निबंध प्रकाशित किए हैं और कई कृतियों का अनुवाद किया है, जिनमें मलका पुखराज द्वारा लिखित “सॉन्ग सुंग ट्रू: ए मेमॉयर” और सैयद रफीक हुसैन की लघु कथाओं का संग्रह “द मिरर ऑफ वंडर्स” शामिल हैं.

दोस्ती_नियम

बहती हवा सी थी वो…

मेरी मम्मी हमेशा उससे बोलती थीं, “मैं सिर्फ तुम्हारी ज़िम्मेदारी में कशिश को भेज रही हूं. उसका ख्याल रखना.” और वो मम्मी से कहती, “आंटी मैं आपसे वादा करती हूं, मेरे होते हुए उसको कुछ नहीं होगा.”

पार्क में रोमांस करना मना है

कितना अजीब है कि घरवाले एक तरफ लड़का-लड़की को आपस में मिलने से रोकते हैं और फिर एक दिन उनकी शादी तय कर उन्हें साथ में एक कमरे में बंद कर देते हैं कि – अब तुम्हें जो करना है करो लेकिन ये ही लड़का- लड़की अपनी मर्ज़ी से एक-दूसरे से नहीं मिल सकते.

माता पिता का नियंत्रण_फास्ट फूड

क्या बगावत का मज़ा तभी है, जब कोई नियम तोड़ने के लिए हो?

अरूपे कैंटीन में एसिडिटी बढ़ाने वाले ज़िंगर बर्गर और तरह-तरह के रंग-बिरंगे पैकेज्ड फूड मिलते हैं, जो दौड़ते-भागते कॉलेज स्टुडेंट्स की भूख को मिटाने का काम करते हैं. मैं अपने स्वास्थ्य को लेकर थोड़ा-बहुत सजग रहने की कोशिश करती हूं, खासकर तब जब कोई मुझे देख रहा हो.

अवचेतन और यौनिकता शृंखला l भाग 2: कमी

मेरे लिए दिलो-दिमाग या अवचेतन (गाफिल), ये उन सारी हकीकतों का एक दायरा है, जिसे सीधे-सीधे न महसूस किया जा सकता है, न सोचा जा सकता है. इसे सीधे सुना, देखा या छुआ भी नहीं जा सकता. फिर भी यह एक ज़ोर है जो बहुत ही ताकतवर है, और जो निरंतर हर उस चीज़ पर असर करता है, जिसे हम महसूस करते हैं, सोचते हैं और समझते हैं.

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