क्या एक लड़की ये चुन सकती है कि वह किस से और कब प्यार करेगी? क्या एक लड़का किससे शादी करेगा इसका चुनाव कर सकता है? अगर एक लड़की अपने साथी को ‘हां’ बोलती है और वे दोनों सहमति से, शादी की कानूनन उम्र से पहले, एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं तो क्या उनके प्यार के अस्तित्व में रहने, फलने-फूलने के लिए समाज में जगह है?
अगर लड़की के परिवार को उनका प्यार मंज़ूर नहीं तो अक्सर लड़के पर झूठा आरोप लगा कर POCSO कानून के अंतर्गत जेल में बंद कर दिया जाता है. न तो उनका परिवार और न ही सरकार ऐसा सोचती है कि युवाओं को कोई भी हक़ या एजेंसी है अपना साथी चुनने की.
ऐसे हालात में, शादी की कानूनन उम्र बढ़ा कर 21 कर देने का प्यार करने वालों पर क्या असर होगा?
आवाज़ें AMIED (अलवर मेवात इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन एंड डेवलपमेंट) और विकल्प संस्थान के सौजन्य से