छोटे शहरों या गांवों में अकेले रहने वाली महिलाओं का जीवन कैसा होता है? घर और प्यार के इर्द-गिर्द वे अपना संसार कैसे रचती हैं, इन पहेलीनुमा सवालों को सुलझाने के लिए कई गांवों और शहरों की यात्राएं कर, हम एकल महिलाओं की कहानियां आपके लिए लेकर आए हैं.
इस सीरीज़ के पहले एपिसोड में शहर और गांव एक दूसरे के साथ-साथ चलते हैं. 25 साल की माधुरी, महानगर में मेट्रो, ऑटो, कैब की सवारी करती, इधर-उधर भटक रही हैं ताकि उन्हें रहने के लिए एक फ्लैट मिल सके. इसी बीच काम के सिलसिले में उन्हें महानगर से बाहर जाना पड़ता है, अपनी भटकन को अपने बैग में पैक कर वे पहुंच जाती हैं उत्तर प्रदेश के बांदा इलाक़े में जिसे कभी ‘बंदूकों का नगर’ कहा जाता था.
वहां, माधुरी की मुलाक़ात शबीना से होती है. शबीना की उम्र 40 साल है और वे इस कस्बे में कई सालों से अकेले रह रही हैं. अब, अपने-अपने अनुभवों के साथ दोनो बांदा की सड़कों पर घूम रही हैं. इस समय वे एक-दूसरे को ऐसी बातें बताती हैं जिनके बारे में शायद ख़ुद भी उन्होंने इससे पहले कभी सोचा नहीं था. इन अनुभवों में क्या-क्या छुपा है? शायद आश्चर्य, या संदेह, या फ़िर जिज्ञासाएं या कुछ ऐसा जो हमने पहले कभी न सुना न जाना हो! आइए सुनते हैं अपने-अपने शहरों के साथ इन दोनों एकल महिलाओं के रिश्ते और उनके किस्से…