कहानी सुनाना

हेरा फेरी

फ से फील्ड, श से शिक्षा: एपिसोड 6 हेरा फेरी

सारी पढ़ाई, सारा विज्ञान एक तरफ और कुंवारी लड़की का किसी महीने पीरियड न आना एक तरफ! क्या नहीं होता उसके बाद. घर-परिवार, डॉक्टर, टीचर और दोस्त सब मिलकर इस बिन-बनाई गुत्थी को सुलझाने में लग जाते हैं. ऐसे में तरह-तरह के अनुमान, डर और भ्रम का माहौल बन जाना तो लाज़िमी है. सुनिए एक रंगरेज कहानी, शोभा की ज़ुबानी.

फ से फील्ड, श से शिक्षा: एपिसोड 5 भूचाल

हुआ यूं कि गीता के मोहल्ले से एक लड़की, किसी दूसरी जाति के अपने लड़के दोस्त (ब्यॉफ्रेंड) के साथ घर छोड़कर भाग गई. इस घटना से पूरे मोहल्ले में हड़कंप मच चुका था. अब इसका असर तो हर घर पर पड़ना ही था. कैसे? जानने के लिए सुनिए रानी की कहानी भूचाल.

शादी

फ से फील्ड, श से शिक्षा: एपिसोड 4 शादी, पर क्यों?

उसने अभी-अभी कॉलेज की परीक्षा पास की है. इससे पहले कि वो आगे की पढ़ाई के बारे में सोच पाता, परिवार वालों ने उसकी शादी तय करने का फैसला कर लिया. अचानक अपनी ज़िंदगी में आई इस परेशानी से वो युवा लड़का बहुत बेचैन हो उठा. अभी उसकी उम्र ही क्या है, वो अभी शादी नहीं करना चाहता!

फ से फील्ड, श से शिक्षा: एपिसोड 3 अचूकी और उसकी मम्मी

अचूकी से तो आप मिल ही चुके हैं. हैरत की बात यह है कि उसके मारवाड़ी समुदाय के लोग हमेशा उसके पीछे पड़े रहते हैं. वे अक्सर उसकी मां के कम पढ़े-लिखे होने का मज़ाक बनाते हैं. अपने सपनों और इच्छाओं को पूरा करने की उसकी ज़िद के लिए वे अचूकी की भी टांग-खिंचाई करते रहते हैं. क्या अचूकी चुपचाप उनकी बातें यूं ही सुनती रहेगी या उन्हें करारा जवाब देगी? या फिर बीच का रास्ता अपना लेगी? जानने के लिए सुनिए अचूकी की कहानी, खुद उसकी ज़ुबानी.

कहानी घर घर की

पटना में रहनेवाली स्वाती रोज़मर्रा की ठेठ कहानियों को अपने बिहारी तड़के के साथ हमारे सामने ला रही हैं. पटनावाली की तीसरी क़िस्त में वे हमें सुना रही हैं कहानी घर घर की.

गुमसुम सी छत

मोहल्ले के तमाम घरों को जोड़ती छतें खुली और विशाल दिखाई देती हैं. ठीक उसके उलट हमारा अन्तर्मन कई तरह की घेरों में बंधा होता है. इसी बीच ज़िंदगियां चलती-बदलती रहती हैं. अंकुर संस्था से जुड़ी रौशनी की इस बयानी में छत किसी अंदर-बाहर की अदला-बदली को चरितार्थ करती हुई दिखाई देती है. कोविड का समय एवं मानसिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर लोगों पर पड़े उसके प्रभावों को रौशनी बहुत ही सीधे शब्दों में सामने रख देती हैं.

लेखन का काम

लेखन का काम

मगर कैसे किसी को कहानी के बारे में सोचना, उसको महसूस करना, समझना, सुनाना और अंत में लिखना सिखाया जाता है?