पॉडकास्ट

निधि सुरेश: ब्रेकिंग न्यूज़ के दौर में निःशब्द और मौन सवालों का क्या मतलब है?

F – रेटेड इंटरव्यूह के तीसरे एपिसोड में मिलते हैं निधि सुरेश से जो हमें लखीमपुर और हाथरस ले जाती हैं और घटनास्थल पर अपराध के बाद होने वाली हिंसा को अपनी पत्रकारिता के ज़रिए दिखाती हैं. वह स्थानीय पत्रकारों के साथ काम करने के लिए रणनीतियां आज़माती हैं और धीमे और शांत प्रश्नों के महत्त्व पर प्रकाश डालती हैं, तब भी (और विशेष रूप से) जब पत्रकारों की भीड़ एक कहानी को कवर कर रही हो.

नीतू सिंह: एक मुकम्मल कहानी के पीछे क्या-क्या होता है?

F रेटेड इंटरव्यूह के दूसरे एपिसोड में मिलिए नीतू सिंह से जो एक स्वतंत्र पत्रकार, मीडिया प्रशिक्षक और शेड्स ऑफ रूलर इंडिया यू-ट्यूब चैनल की संस्थापक हैं. पत्रकारिता के अपने करियर की शुरुआत ग्रामीण मीडिया संस्थान ‘गांव कनेक्शन’ से करने वाली नीतू अपने काम के ज़रिए इस सोच को चुनौती देती हैं कि एक रिपोर्टर का काम सिर्फ़ घटना के बारे में जानकारी देना भर है.

ये F – रेटेड क्या है?

निरंतर रेडियो पर पेश है एक नया शो, जहां होंगी बातें F – रेटेड यानी फेमिनिस्ट रेटेड! इस शो में आप मिलेंगे अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले अभ्यासकर्ताओं से और नारीवादी नज़र को केंद्र में रखते हुए द थर्ड आई टीम के साथ होंगी रोचक, शानदार, जानदार बातें.

बोलती कहानियां Ep 7: इमला

इमला का मलतब है लिखने का अभ्यास करना. यह कहानी हमारे सामने इस तरह खुलती है कि स्कूल के भीतर कक्षा में मास्टर रामदास बेंत झुलाते हुए फौजी जनरल की तरह चलते हैं. मास्टरजी का खौफ इतना है कि चलते हुए अगर वो किसी बच्चे के सामने रुक जाएं तो उसकी सांस अटक जाती है. एक गलती पर एक बेंत उनका उसूल है. एक दिन, एक बच्चे द्वारा बदतमीज़ी करने पर उसकी शिकायत लेकर मास्टरजी उसके पिता के पास जाते हैं. बच्चे के पिता गांव के प्रधान हैं. अब, प्रधान के सामने मास्टरजी की जो हालत होती है वह देखने लायक है. क्या होता है वहां? यह तो आपको कहानी सुनने के बाद ही पता चलेगा…

अनेकों कमरों का समझौता

केसवर्कर्स डायरी | एपिसोड 1 : अनेकों कमरों का समझौता

कोई हमें थोड़ा प्यार करे, हमारी इज़्ज़त करे, हमें सम्मान दे- इसके लिए हम क्या-क्या जतन करते हैं, कितने तरह के समझौते करते हैं, है न! केसवर्कर्स डायरी के इस एपिसोड में उत्तर-प्रदेश के बुंदेलखंड की एक केसवर्कर हमें अपने जीवन के उन तमाम कमरों के बारे में बताती है जहां कभी उसने अपना बचपन जिया तो कभी खुद से उसे बनाया-संवारा. पर, इनमें से कोई भी कमरा उसका नहीं है.

हेकड़ी

बोलती कहानियां Ep 6: हेकड़ी

बोलती कहानियां के इस एपिसोड में दिप्ता भोग से सुनिए लेखक विजयदान देथा की कहानी ‘हेकड़ी’. यह कहानी उनके संग्रह ‘बातां री फुलवाड़ी’ के हिंदी अनुवाद से ली गई है जिसके प्रकाशक राजस्थान ग्रंथागार हैं.

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विशेष फीचर: जाति कहां है?

मुम्बई, महाराष्ट्र के रहने वाले रोहन के लिए अपने सरनेम पर गौरव महसूस करना और आरक्षण का विरोध कर रिज़र्व श्रेणी की जातियों को अपनी परेशानी का कारण बताना बहुत आसान था. लेकिन, एक फेलोशिप पर काम करने के दौरान जब रोहन ने निगाह उठाकर अपने आसपास देखने की कोशिश की तब उसे जाति और उससे जुड़े विशेषाधिकारों के बारे में पता चला.

फ से फ़ील्ड, श से शिक्षा: एपिसोड 10 पैसे चाहिए की नहीं?

उसे अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए पैसों की ज़रूरत थी. उसने बहुत सारी तरकीबें सोच रखी थीं जिनसे घरवालों से पढ़ाई के लिए पैसा भी निकाल ले और उन्हें पता भी न चले पर उसके पिताजी हमेशा उसकी तरकीबों से एक कदम आगे की सोच रखते हैं. सुनिए एक पिता और एक बेटी की कहानी.

फ से फ़ील्ड, श से शिक्षा: एपिसोड 9 छोटी बहू

“छोटी बहू, अरे ओ छोटी बहू…” घर में सुबह से लेकर रात तक बस यही एक राग सुनाई देता है. घर हो या बाहर या फिर काम की जगह, उसका पूरा दिन सिर्फ़ भागते-दौड़ते ही बीत जाता. कभी शरारती सुनिता के नाम से मशहूर,आज वो सिर्फ़ छोटी बहू बनकर रह गई है…क्या है छोटी बहू की कहानी सुनिए राजकुमारी और आरती अहिरवार की ज़ुबानी.

फ से फ़ील्ड, श से शिक्षा: एपिसोड 8 हॉस्टल डायरी – निधी ने आपकी फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली है

‘ये इश्क नहीं आसां इतना ही समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है’. इश्क मजाज़ी, इश्क मजनूंई कुछ भी कह लीजिए, पर जब चाहतें फ्रेंड रिक्वेस्ट की शक्ल में भेजी जाती हैं और कबूल कर ली जाती हैं तो दिल अपनी कुर्सी से उछल पड़ता है.

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