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एपिसोड 1

केसवर्कर्स डायरी | एपिसोड 1 : अनेकों कमरों का समझौता

अनेकों कमरों का समझौता
कोई हमें थोड़ा प्यार करे, हमारी इज़्ज़त करे, हमें सम्मान दे- इसके लिए हम क्या-क्या जतन करते हैं, कितने तरह के समझौते करते हैं, है न! केसवर्कर्स डायरी के इस एपिसोड में उत्तर-प्रदेश के बुंदेलखंड की एक केसवर्कर हमें अपने जीवन के उन तमाम कमरों के बारे में बताती है जहां कभी उसने अपना बचपन जिया तो कभी खुद से उसे बनाया-संवारा. पर, इनमें से कोई भी कमरा उसका नहीं है. क्यों?

केसवर्कर्स डायरी, एक ऑडियो शृंखला है जो जेंडर आधारित हिंसा से जुड़े मामलों पर काम करने वाली 12 केसवर्करों के अनुभवों से निकलकर आई है. उत्तर-प्रदेश के ललितपुर, बांदा और लखनऊ ज़िले में काम करने वाली ये सभी केसवर्कर हत्या, बलात्कार, अपहरण, बच्चों के यौन शोषण, दहेज हत्या और घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर काम करती हैं.

यह ऑडियो शृंखला ‘केसवर्कर्स द्वारा हिंसा की शब्दावली’ का एक हिस्सा है जिसमें जेंडर आधारित हिंसा से जुड़े उन महत्त्वपूर्ण शब्दों को शामिल किया गया है, जिनकी मदद से ज्ञान और समझ का निर्माण होता है.

इस पॉडकास्ट को राजकुमारी प्रजापति ने आवाज़ दी है.
प्रोजेक्ट निर्माता- दिप्ता भोग और आस्था बाम्बा
प्रोजेक्ट फेसिलिटेटर – अपेक्षा वोहरा
पॉडकास्ट निर्माता – माधुरी आडवाणी
स्क्रिप्ट सहायक – आस्था बाम्बा, दिप्ता भोग, माधुरी आडवाणी, सुमन परमार और अपेक्षा वोहरा
आवरण चित्र – शिवम रस्तोगी

द थर्ड आई की पाठ्य सामग्री तैयार करने वाले लोगों के समूह में शिक्षाविद, डॉक्यूमेंटरी फ़िल्मकार, कहानीकार जैसे पेशेवर लोग हैं. इन्हें कहानियां लिखने, मौखिक इतिहास जमा करने और ग्रामीण तथा कमज़ोर तबक़ों के लिए संदर्भगत सीखने−सिखाने के तरीकों को विकसित करने का व्यापक अनुभव है.
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