काम पर औरतें

बेबी हालदार के साथ एक बातचीत

साल 2002 बहुत सारी घटनाओं के लिए इतिहास में दर्ज है. उन्हीं में से एक असाधारण घटना थी ‘आलो आंधारि’ किताब का प्रकाशन. इस किताब के शब्दों ने घरेलू कामगारों के साथ होने वाली हिंसा और गरीबी में डूबी एक ऐसी दुनिया का दरवाज़ा खोलने का काम किया जिसके बारे में शायद ही कभी कोई बात होती थी.

“गांव में लोग रात में मछली पकड़ते हैं और शहरों में अपना काम पूरा करके सो जाते हैं”

मेरा गांव कोंकेया, झारखंड के खूंटी ज़िले में आता है. मुझे वहां के पर्व-त्यौहारों में सभी के साथ मिलकर नाचना-गाना, एक-दूसरे के घर जाना, मिठाई खाना, वहां की चहल-पहल अच्छी लगती है. खासकर जब ढोल, नगाड़े, मादर बजते हैं और लोग साथ में गाने हैं, मुझे बड़ी खुशी होती है.

राजम अक्का

राजम अक्का

ज़्यादातर लोग अपने आपको स्त्री-पुरुष के दो खानों में बंटे जेंडर की पहचान से जोड़ते हैं. वे या तो स्त्री की पहचान रखते हैं या पुरुष की.

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