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डिजिटल एजुकेटर्स (DE) कार्यक्रम लर्निंग लैब का एक पाठ्यक्रम है जिसमें तकनीकी क्षमता विकास, नज़रिया निर्माण और कला-आधारित शैक्षिक प्रक्रियाएं शामिल हैं.
यह नए तरीके से शिक्षा और साक्षरता को रचने का प्रयास है जहां महसूस करने, देखने, सुनने एवं लिखने को महत्त्व दिया जाता है. हमारी नज़र में अनुभव और संवेदना का यह इस्तेमाल तकनीक संचालित आज की दुनिया में एक सशक्त तरीके से जीने के लिए आवश्यक है.
हम अपने डिजिटल एजुकेटर्स के साथ इस दृढ़ विश्वास से काम करते हैं कि समुदायों में बदलाव के लिए अपनी खुद की आवाज़ और प्रतिनिधित्व के अपने खुद के तरीकों का होना बहुत ज़रूरी है. इसीलिए ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले लोगों के साथ गहरा और निरंतर जुड़ाव नई समझ या अंतर्दृष्टियों के निर्माण का केंद्र है.
इसमें हम जिन उपकरणों का उपयोग करते हैं, वह डिजिटल हैं. यहां मोबाइल फोन का इस्तेमाल केवल बातचीत करने के लिए ही नहीं बल्कि जानने, समझने और सृजन करने के लिए भी किया जाता है. इसके ज़रिए हमारे डिजिटल एजुकेटर्स अपने अनुभवों को व्यक्त करने के लिए छवियों और दृश्यों के निर्माण से जुड़ी तकनीक, कहानी कहने की विभिन्न कलाएं, ध्वनियों और आवाज़ों के साथ प्रयोग करना सीखते हैं. हमारे शिक्षाशास्त्र (पेडागॉजी) में ज्ञान और विचारों को साझा करने के दो बुनियादी तरीके हैं – अपनी बात कहना और एक-दूसरे को सुनना.
डिजिटल एजुकेटर्स कार्यक्रम के द्वारा पिछले ढाई वर्षों के दौरान अलग-अलग उम्र, काम, जेंडर और जाति से आने वाले, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और झारखंड में ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले 24 लोगों को मेंटर किया गया है. यह एक हाइब्रिड – दो तरह से चलने वाला – कार्यक्रम है. इसमें ऑनलाइन के साथ ही, समय-समय पर व्यक्तिगत कार्यशालाओं के माध्यम से मेंटरों के साथ डिजिटल एजुकेटर्स का नियमित और व्यवस्थित जुड़ाव सुनिश्चित किया जाता है. हर हफ़्ते होने वाले ऑनलाइन साप्ताहिक अड्डों के साथ ही साथ सीखने और सिखाने वालों के बीच होने वाली सामूहिक बैठकों में कौशल प्रशिक्षण के अलावा तमाम सामाजिक एवं सांस्कृतिक मुद्दों पर चर्चाएं भी होती हैं. ये सामूहिक और व्यक्तिगत प्रक्रियाएं नए विचारों को बढ़ावा देने में सहायक होती हैं.
हमारे मेंटर्स, डिजिटल एजुकेटर्स का सिर्फ़ मार्गदर्शन ही नहीं करते बल्कि सह-रचनात्मक कार्यों में शामिल होकर कलात्मक एवं शैक्षणिक सामग्री भी तैयार करते हैं. डिजिटल एजुकेटर्स के पहले बैच के साथ मिलकर तैयार की गई सामग्री देश और दुनिया के कई महोत्सवों एवं सम्मेलनों में भाग ले चुकी है. इनमें से ज़्यादातर सामग्री द थर्ड आई की वेबसाइट पर प्रकाशित हैं. आप इसे यहां देख सकते हैं.
द थर्ड आई डिजिटल एजुकेटर्स कार्यक्रम द्वारा ज्ञान निर्माण की इस प्रक्रिया में हमारे नॉलेज पार्टनर्स भी शामिल हैं. इसमें नागरिक समाज संस्थाएं (सिविल सोसाइटी ऑर्गनाइज़ेशन) शामिल हैं जो शिक्षा, वैकल्पिक मीडिया, जेंडर आधारित हिंसा और सामुदायिक विकास पर दशकों से काम कर रही हैं. प्रमुखता: दूसरा दशक फाउंडेशन फॉर एजुकेशन एंड डेवलपमेंट (जयपुर, राजस्थान), सद्भावना ट्रस्ट (लखनऊ, उत्तर प्रदेश), फाउंडेशन फॉर अवेयरनेस, काउंसलिंग एंड एजुकेशन (पाकुड़, झारखंड), महिला जन अधिकार समिति (अजमेर, राजस्थान), और सहजनी शिक्षा केंद्र (ललितपुर, उत्तर प्रदेश) जैसे संगठन डिजिटल एजुकेटर्स कार्यक्रम के संचालन में एक सलाहकार और सहयोगी के रूप में हमारा मार्गदर्शन करते आ रहे हैं.