माधुरी अडवाणी के लेख

माधुरी को कहानियां सुनाने में मज़ा आता है और वे अपने इस हुनर का इस्तेमाल महिलाओं के विभिन्न समुदायों और पीढ़ियों के बीच संवाद स्थापित करने के माध्यम के रूप में करती हैं. जब वे रिकार्डिंग या साक्षात्कार नहीं कर रही होतीं तब माधुरी को यू ट्यूब चैनल पर अपने कहानियों का अड्डा पर समाज में चल रही बगावत की घटनाओं को ढूंढते और उनका दस्तावेज़ीकरण करते पाया जा सकता है. समाज शास्त्र की छात्रा होने के नाते, वे हमेशा अपने चारों ओर गढ़े गए सामाजिक ढांचों को आलोचनात्मक नज़र से तब तक परखती रहती हैं, जब तक कॉफ़ी पर चर्चा के लिए कोई नहीं टकरा जाता. माधुरी द थर्ड आई में पॉडकास्ट प्रोड्यूसर हैं.

एकल इन द सिटी Ep.1: ख़ुदा हाफ़िज़

महानगरों या बड़े शहरों से दूर किसी सुदूर इलाके में एकल महिला होने के क्या अर्थ हैं? शहरों की रुमानियत से दूर ऐसी जगहों पर एक महिला के अकेले रहने के अनुभव कैसे होते हैं? कोई एकल क्यों होता है? कौन से शब्द हैं जो इसे परिभाषित करते हैं? क्या यह संपूर्ण जीवन है या जीवन का एक हिस्सा?  

विशेष फीचर: गुलाबी टॉकीज़ – ऑडियो कहानी

महामारी की वजह से जब हमारे थियेटरों पर ताले जड़ गए तो हमने उनकी याद में अपने को 1920X1080 के टीवी स्क्रीन में समेट पर ऑनलाइन डिजिटल फ़िल्मों और सीरियलों में ख़ुद को डुबो लिया.

मन के मुखौटे Ep 2: रहोगी तुम वही

मानसिक स्वास्थ्य के तयशुदा खांचे से बाहर निकल, उसे आप बीती और जग बीती के अनुभवों एवं कहानियों के चश्में से समझने की एक महत्वाकांक्षी पहल – मन के मुखौटे- के दूसरे एपिसोड में हम लेकर आए हैं कथाकार सुधा अरोड़ा की कहानी ‘रहोगी तुम वही’. सुनिए कैसे भावनात्मक हिंसा की छोटी-छोटी किरचें इस कहानी में साफ-साफ दिखाई देती हैं.  

मन के मुखौटे Ep 1: अड़ियल दुख

जन स्वास्थ्य विशेषांक में इस हफ़्ते हम आंखें बंद कर अपने मन-मस्तिष्क के भीतर झांकने की कोशिश कर रहे हैं. पब्लिक हेल्थ एवं पॉलिसी पर अभी तक हम कई तरह के सवाल-जवाब कर चुके हैं.

विशेष फीचर: कोरोनाकाल और मैं – अकेले हैं तो क्या ग़म हैं?!

कोरोना की दूसरी लहर अब मद्धम पड़ रही है. लॉकडाउन खुल रहे हैं. धीरे-धीरे बाहर की दुनिया के पर्दे उठने लगे हैं. लेकिन, भीतर अब भी बहुत कुछ अंधेरे में हैं.

विशेष फीचर: गैस पर देख लेना (काम या आराम)

काम या आराम? क्या ये सवाल जेंडर आधारित है? मलयालम फिल्म #TheGreatIndianKitchen आजकल बहुत पसंद की जा रही है. हमने जब इसे देखा तो लगा कि क्यों न हम भी आपके साथ रसोई का एक चक्कर लगा ही लें. तो आइए सुनें हमारी रसोई से ताज़ा ताज़ा बनकर निकली ये कहानी.

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