फ से फ़ील्ड, श से शिक्षा: एपिसोड 4 शादी, पर क्यों?

उसने अभी-अभी कॉलेज की परीक्षा पास की है. इससे पहले कि वो आगे की पढ़ाई के बारे में सोच पाता, परिवार वालों ने उसकी शादी तय करने का फैसला कर लिया. अचानक अपनी ज़िंदगी में आई इस परेशानी से वो युवा लड़का बहुत बेचैन हो उठा. अभी उसकी उम्र ही क्या है, वो अभी शादी नहीं करना चाहता!

निराशा और घबराहट के बीच उसने अपनी हिम्मत बटोर कर घरवालों से क्या कहा, जानने के लिए सुनिए अजफरूल की कहानी.

भारत के ग्रामीण इलाकों से निकले, शिक्षा के अनुभव और उनमें कल्पनाओं के पंख लगाए 10 कहानियों की यह ऑडियो शृंखला अब आपके सामने है. इस शृंखला की हर कहानी अपने आप में शिक्षा के अनुभवों और उन्हें देखने के नज़रिए से बिलकुल जुदा है. ये कहानियां सवाल करती हैं कि क्लासरूम के बाहर हम शिक्षा को कैसे देखते हैं? और उससे भी महत्त्वपूर्ण कि शिक्षा तक पहुंच किसकी है?

लेखक एवं प्रस्तोता – अजफरूल शेख

रेडियो प्रोड्यूसर – माधुरी आडवाणी

आवरण – सादिया सईद

अनुभवी परामर्शदाता – माधुरी आडवाणी

संगीत साभार – शबनम विरमानी

टाइटल गीत लेखक – अरूण गुप्ता

टाइटल संगीत गायन – वेदी

एपिसोड संगीत – शबनम विरमानी

साथ ही हम आह्वान प्रोजेक्ट के भी आभारी हैं जिन्होंने हमें अपने गीत “ना देख आंखों से” (लेखक – अरुण गुप्ता, संगीत – शबनम विरमानी) के शुरुआती बोल एवं उसके संगीत को ऑडियो कहानियों में इस्तेमाल करने की इजाज़त दी है.

हम चंबल मीडिया से जुड़ी लक्ष्मी और निरंतर संस्था से जुड़ी अनीता और प्रार्थना को भी तहे दिल से धन्यवाद कहना चाहते हैं जिन्होंने अपनी व्यस्तता के बावजूद कहानियों को सुनकर उनपर अपनी प्रतिक्रिया हमसे साझा की.

हफ्ते में दो दिन – सोमवार और बुधवार – को नई कहानी सुनने के लिए हमारे साथ जुड़े रहें.  

अपने शिक्षा के अनुभव साझा करने के लिए आप हमें हमारे ईमेल आईडी पर लिख सकते हैं:  [email protected]

द थर्ड आई की पाठ्य सामग्री तैयार करने वाले लोगों के समूह में शिक्षाविद, डॉक्यूमेंटरी फ़िल्मकार, कहानीकार जैसे पेशेवर लोग हैं. इन्हें कहानियां लिखने, मौखिक इतिहास जमा करने और ग्रामीण तथा कमज़ोर तबक़ों के लिए संदर्भगत सीखने−सिखाने के तरीकों को विकसित करने का व्यापक अनुभव है.

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